शोषक रे अविचल!
शोषक रे अविचल!
अजेय! गर्वोन्नत प्रतिपल!
लख तेरा आतंक त्रसित हो रहा धरातल!
भार-वाहिनी धरा,
किन्तु तुमको ले लज्जित!
अरे नरक के कीट!, वासना-पंक-निमज्जित!
मृत मानवता के अधरों पर,
मृत्यु-झाग से!
वसुंधरा पर कौन पड़े, तुम शेष नाग से!
वसुधा के वपु पर रे!
कलुष दाग तुम निश्चल!
शोषक रे! दुर्दांत-दस्यु!, गर्वोन्नत प्रतिपल!