काश कि भावनाओं का भी श्राद्ध हो,
डाल लेंगे श्वेत चादर अपनी उम्मीदों पर,
त्याग देंगे तृष्णा, रो लेंगे बेपनाह,
भूल जायेंगे उन सारी यादों को,
उस भावना को,
जिसको निर्मम मारा सबने,
जब सो रहा था वो।
काश कि भावनाओं का भी श्राद्ध हो,
डाल लेंगे श्वेत चादर अपनी उम्मीदों पर,
त्याग देंगे तृष्णा, रो लेंगे बेपनाह,
भूल जायेंगे उन सारी यादों को,
उस भावना को,
जिसको निर्मम मारा सबने,
जब सो रहा था वो।