‘Sirf Ek Joote Ka Dikhna’, Hindi Kavita by Deepak Jaiswal.
एक जोड़ी जूते में
सिर्फ़ एक जूते का दिखना
एक त्रासद घटना है
उम्र भर साथ रहने के बाद
पति-पत्नी में से एक का
पीछे रह जाना
रेल की पटरियों में से एक
का उखड़ जाना
किसी उन्मादी युद्ध के बाद
सैनिक का एक पाँव से घर लौटना
किसान के बैलों में से एक का मर जाना
जंगल में अकेले बाघिन का रह जाना
जीवन में सिर्फ़ दुःखों का भर जाना
साँस का अंदर आना
पर बाहर न निकल पाना
त्रासद घटना है
सिर्फ़ एक जूते का रह जाना!
यह भी पढ़ें: दीपक जायसवाल की कविता ‘बाबूजी’