स्नेह मेरे पास है, लो स्नेह मुझसे लो!
चल अन्धेरे में न जीवन दीप ठुकराओ
साँस के संचित फलों को यों न बिखराओ
पत्थरों से बन्धु अपना सिर न टकराओ
मेघमेला विश्व है, लो राग मुझसे लो!
यह मरुस्थल है, कहाँ जल है पथिक प्यासे
दृष्टि-भ्रम है, मौन मृगजल है, थके तासे
शक्ति खो मत दो भटककर व्यर्थ आशा से
भूमि में जल है, उठो, लो शक्ति मुझसे लो!
तुम तिमिर-रंजित नयन से देख क्या पाए
बन्धु भी यमदूत बनकर आँख में आए
कहो, कब तक रहोगे, उद्भ्रान्त, अलगाए
प्राण का अवलम्ब लो, विश्वास मुझ से लो!
स्नेह मेरे पास है, लो स्नेह मुझसे लो!