कौन आएगा मई में सांत्वना देने
कोई नहीं आएगा
समय ने मृत्यु का स्वांग रचा है
अगर कोई न आए तो
बारिश तुम आना
आँसुओं की तरह
दो-चार बूँदों की तरह नहीं
सपरिवार आना, झमझमाते आना
चिड़िया तुम आना
पर अकेले मत आना, सपरिवार आना
फैल जाना पूरे घर में
वायु तुम आना, धीरे-धीरे नहीं
सम्पूर्ण वेग से आना, सपरिवार आना
पर मेरे पास अंत में आना
पहले वहाँ जाना जहाँ
तुम्हें विवेक लेकर जाए
मृत्युग्रस्त इस महिने में
गौरव जैसी कोई बात नहीं है
फिर भी तुम सब आना
इसे मेरा अनुरोध मात्र मानना
निर्णय लेने में देर मत करना।

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रोहित ठाकुर
जन्म तिथि - 06/12/1978; शैक्षणिक योग्यता - परा-स्नातक राजनीति विज्ञान; निवास: पटना, बिहार | विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं बया, हंस, वागर्थ, पूर्वग्रह ,दोआबा , तद्भव, कथादेश, आजकल, मधुमती आदि में कविताएँ प्रकाशित | विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों - हिन्दुस्तान, प्रभात खबर, अमर उजाला आदि में कविताएँ प्रकाशित | 50 से अधिक ब्लॉगों पर कविताएँ प्रकाशित | कविताओं का मराठी और पंजाबी भाषा में अनुवाद प्रकाशित।