कोई तो होगी
जगह
स्त्री के लिए

जहाँ न हो वह माँ, बहिन, पत्नी और
प्रेयसी
न हो जहाँ संकीर्तन
उसकी देह और उसके सौन्दर्य के पक्ष में

जहाँ
न वह नपे फ़ीतों से
न बने जुए की वस्तु
न हो आग का दरिया या अग्निपरीक्षा
न हो लवकुश
अयोध्या,
हस्तिनापुर,
राजधानियाँ और फ़्लोर शो
और विश्व सौन्दर्य मंच
निर्वीय
थके
पस्त

पुरुष अहं
को पुनर्जीवित करने वाली
शाश्वत मशीन की तरह
जहाँ न हों
मदान्ध पुरुषों की गारद

जहाँ न हों
संस्कारों और विचारों की
बन्दनवार
उर्फ़ हथकड़ियाँ

कोई तो जगह अवश्य होगी
स्त्री के लिए
कोई तो जगह होगी

जहाँ प्रसव की चीख़ न हो
जहाँ न हों पाणिग्रहण संस्कारों में छुपी
भविष्यत की त्रासद
कथा-शृंखलाएँ

जहाँ न हो
रीझने-रिझाने की कला के पाठ
और सिन्दूर-बिन्दी के वेदपुराण

कोई तो जगह होगी
स्त्री के लिए
जहाँ
न वह अधिष्ठित हो
देवियों की तरह
रानियों, पटरानियों
जनानियों की तरह
ठीक उसी तरह
जैसे कि
उस जैसे पीड़ित पुरुष के लिए
जो जन्मा है
उसी से

कोई तो जगह होगी।
हर जगह
सर्व शक्तिमानों के लिए
कभी नहीं थी
जैसे कि
अज्ञान और अधर्म के
लिए नहीं है हर जगह
कोई तो जगह अवश्य होगी।

स्नेहमयी चौधरी की कविता 'जलती हुई औरत का वक्तव्य'

Book by Kuber Dutt:

कुबेर दत्त
(1 जनवरी 1949 - 2 अक्टूबर 2011) जनवादी लेखक संघ हिन्दी के मशहूर कवि