वे सूर्योदय की प्रतीक्षा में
पश्चिम की ओर
मुॅंह करके खड़े थे

दूसरे दिन जब सूर्योदय हुआ
तब भी वे पश्चिम की ओर
मुॅंह करके खड़े थे

जबकि सही दिशा-संकेत के लिए
ज़रूरी होता है देखना
अपने चारों तरफ़

सूरज न तो निकलता है
न डूबता है
दुनिया घूमती है अपने और उसके चारों तरफ़

‘हमारे साम्राज्य में सूर्यास्त नहीं होता’ –
कभी एक साम्राज्य ने कहा था गर्व से
साम्राज्य डूब गया,
सूर्योदय होता रहा पूर्ववत…

Book by Kunwar Narayan:

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कुँवर नारायण
कुँवर नारायण का जन्म १९ सितंबर १९२७ को हुआ। नई कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर कुँवर नारायण अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (१९५९) के प्रमुख कवियों में रहे हैं। कुँवर नारायण को अपनी रचनाशीलता में इतिहास और मिथक के जरिये वर्तमान को देखने के लिए जाना जाता है।

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