‘Swang’, a poem by Nidhi Agarwal

पुरुष एक कहता है-
“तुम कितनी सुंदर हो!”
वे मुस्कुराती हैं
और कहती हैं-
“तुम्हारी आँखों जितनी!”

पुरुष दो कहता है-
“तुम से ही जीवन में संगीत है।”
वे खिलखिलाती हैं
और कोरो में उमड़ी नदी
को सहेज आगे बढ़ कहती हैं-
“प्रिय पुरुष!
यह संगीत तुमसे ही उपजा है।”

पुरुष तीन कहता है-
“सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमसे
ही करता हूँ प्रेम”
स्मृति में तैरते उसकी सभी
कथित प्रेयसियों के चेहरों
को नेपथ्य में धकेल
वे कहती हैं-
“कृतज्ञ हूँ।”

कई अधूरे झूठों से
गढ़ पूरा मनमाना सत्य
कुछ लड़कियाँ
जीवन भर
सतह पर बहती रहती हैं

जबकि सत्य अन्वेषण की चाह में
गहराई में उतरी लड़कियों के
फेफड़ो में भर जाता है पानी
वह बन जाती हैं कभी
अख़बार की सुर्ख़ियाँ
या कभी स्वचयनित गुमनामी में
गुम हो जाती हैं।

हर लड़की नहीं कर पाती है
पुरुषों के झूठ को सच मान
हर्षित हो लेने का स्वांग!

यह भी पढ़ें:

सांत्वना श्रीकांत की कविता ‘सुनो लड़की’
अर्चना वर्मा की कविता ‘न कुछ चाहकर भी’
प्रतिभा राय की कहानी ‘मन का पुरुष’

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डॉ. निधि अग्रवाल
डॉ. निधि अग्रवाल पेशे से चिकित्सक हैं। लमही, दोआबा,मुक्तांचल, परिकथा,अभिनव इमरोज आदि साहित्यिक पत्रिकाओं व आकाशवाणी छतरपुर के आकाशवाणी केंद्र के कार्यक्रमों में उनकी कहानियां व कविताएँ , विगत दो वर्षों से निरन्तर प्रकाशित व प्रसारित हो रहीं हैं। प्रथम कहानी संग्रह 'फैंटम लिंब' (प्रकाशाधीन) जल्द ही पाठकों की प्रतिक्रिया हेतु उपलब्ध होगा।

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