‘Swapn Mein Poochha Tumne’, a poem by Rag Ranjan

स्वप्न में पूछा तुमने
क्या कहोगे मुझसे आख़िरी बार
हो यही बस एक मुलाक़ात
फिर ना मिलना हो यदि हमारा

कह सकता था, कैसा बेतुका सवाल
कुछ और बातें करो
कहो कुछ प्यारा जो रहे साथ देर तक
इस शाम के बाद भी

गहरी अनुभूति में प्रेम मृत्यु के क़रीब होता है
और स्वप्न मनचाहे जीवन का रियाज़ अक्सर

कहने में दिक्कत यह
कि अनकहा छूट जाता कहे से अधिक हमेशा

सोचा, और बस इतना कहा तुमसे –
यदि आख़िरी हो यह मुलाक़ात
तो कुछ कह ना सकूँगा,
देखता रहूँगा देर तक अपलक
तुम्हारे माथे की गुलाबी एक बिंदी
रह जाएगी हमेशा मेरे मन में वह

प्रेम का रक्तिम लाल और विरह का नीरव श्वेत
मिलकर छोड़ जाएँगे एक गुलाबी स्मृति
मेरे होठों और तुम्हारे माथे के बीच
एक अनंत मुलाक़ात।

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