मैं उस दुकान की तलाश में हूँ
जहाँ ताबूत बनते हैं

मुझे उस माहिर कारीगर से मिलना है
जो सबसे अच्छे ताबूत बनाने के लिए मशहूर है,
मुझे उससे पूछना है
उसकी कारीगरी का राज़

मुझे पूछना है कि
ताबूत बनाते वक़्त वह क्या सोचता है,
क्या वह उन लोगों को याद करता है
जो उसके बनाए हुए ताबूतों में दफ़्न हैं,
या उन लोगों की कल्पना करता है
जो उसके बनाए मज़बूत ताबूतों में दफ़्न होने वाले हैं

मुझे जानना है कि वह
चलते-फिरते लोगों को
अपने ताबूतों में लेटा हुआ सोचकर भी
कैसे जी लेता है उनके साथ

ताबूतों का माहिर कारीगर
हर नाप का ताबूत बना लेता है
मुझे उससे पूछना है
कि क्या उसने ये नापें
ज़िन्दा लोगों को देखकर बनायी हैं?

मुझे उससे यह भी पूछना है कि
ताबूतों के अक्सर ख़रीदार
मोल-भाव क्यूँ नहीं करते,
मुझे जानना है कि उसके पास
कब-कब आती हैं एडवांस बुकिंग
और कौन लोग हैं जो
थोक में ले जाते हैं ये ताबूत

मुझे शक है कि ताबूतों का मशहूर कारीगर
मेरी बातों का जवाब दे पाएगा

और अगर उसने अपने राज़ खोले
तो मैं उससे ज़रूर पूछूँगा
कि मुझे देखते ही
क्या उसने नहीं सोचा कि एक दिन मैं भी
उसके बनाए ताबूत में सो रहा हूँगा?

और उसने अपने लिए बनाए हुए ताबूत को
कहाँ छिपा रखा है?

उसामा हमीद की नज़्म ताबूत (I)

किताब सुझाव:

उसामा हमीद
अपने बारे में कुछ बता पाना उतना ही मुश्किल है जितना खुद को खोज पाना.