कहते हैं ‘ताबूत जितना छोटा हो
उतना भारी होता है’
पुश्तैनी घरों से
निकलता हुआ अकेला ताबूत
दुखदायी होता है।
क़तार दर क़तार निकलने वाला
ताबूतों का जुलूस
बनता है ब्रेकिंग न्यूज़।
विकसित देशों के वे ताबूत
जो लोकतांत्रिक बमों के साथ
नहीं पहुचते मिडिल ईस्ट
गिने जाते हैं सभ्यता के प्रतीक।
और वे लोग जो ज़िन्दा ही मरे जाते हैं
अपनी हैसियत के मुताबिक़,
चुनते हैं छोटे-बड़े ताबूत
एक, दो, तीन बीएचके अपार्टमेंट!

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उसामा हमीद
अपने बारे में कुछ बता पाना उतना ही मुश्किल है जितना खुद को खोज पाना.

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