Tag: A poem on well

Well

गूँज

एक कुएँ के ऊँचे तट पर, गाता था लेटा चरवाहा! उठी तरंग किया मुँह नीचे, बोला हो-हो, हा-हा हा-हा! भरकर यह आवाज़ कुएँ में, लौटी ज्यों ही त्यों ही...
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