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Ajit Kumar

अकेले कण्ठ की पुकार

गीत जो मैंने रचे हैं वे सुनाने को बचे हैं। क्योंकि— नूतन ज़िन्दगी लाने, नयी दुनिया बसाने के लिए मेरा अकेला कण्ठ-स्वर काफ़ी नहीं है —इस तरह का भाव मुझको...
Man, Sleep, Painting, Abstract, Closed Eyes, Face

नींद में डूबे योद्धा सुरक्षित हैं

कौंधती उधर किरनें लड़ने को आती हैं। हम तो अप्रस्तुत हैं। डूबे हैं नींद में, खोए हैं स्वप्न में, चेतन से परे ये हम लीन हैं अचेतन में। हम तो अप्रस्तुत...
Hand, Touch

ज़रूरत

मेरे साथ जुड़ी हैं कुछ मेरी ज़रूरतें उनमें एक तुम हो। चाहूँ या न चाहूँ— जब ज़रूरत हो तुम, तो तुम हो मुझ में और पूरे अन्त तक रहोगी। इससे...
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