Tag: Ajit Kumar
अकेले कण्ठ की पुकार
गीत जो मैंने रचे हैं
वे सुनाने को बचे हैं।
क्योंकि—
नूतन ज़िन्दगी लाने,
नयी दुनिया बसाने के लिए
मेरा अकेला कण्ठ-स्वर काफ़ी नहीं है
—इस तरह का भाव मुझको...
नींद में डूबे योद्धा सुरक्षित हैं
कौंधती उधर किरनें
लड़ने को आती हैं।
हम तो अप्रस्तुत हैं।
डूबे हैं नींद में,
खोए हैं स्वप्न में,
चेतन से परे ये हम
लीन हैं अचेतन में।
हम तो अप्रस्तुत...
ज़रूरत
मेरे साथ जुड़ी हैं कुछ मेरी ज़रूरतें
उनमें एक तुम हो।
चाहूँ या न चाहूँ—
जब ज़रूरत हो तुम,
तो तुम हो मुझ में
और पूरे अन्त तक रहोगी।
इससे...