Tag: Akbar Allahabadi
आह जो दिल से निकाली जाएगी
आह जो दिल से निकाली जाएगी
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी
इस नज़ाकत पर ये शमशीर-ए-जफ़ा
आप से क्यूँकर सम्भाली जाएगी
क्या ग़म-ए-दुनिया का डर मुझ रिंद...
दुनिया में हूँ, दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
दुनिया में हूँ, दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ, ख़रीदार नहीं हूँ
ज़िंदा हूँ मगर ज़ीस्त की लज़्ज़त नहीं बाक़ी
हर-चंद कि हूँ होश...
हल्क़े नहीं हैं ज़ुल्फ़ के हल्क़े हैं जाल के
हल्क़े नहीं हैं ज़ुल्फ़ के, हल्क़े हैं जाल के
हाँ ऐ निगाह-ए-शौक़ ज़रा देख-भाल के
पहुँचे हैं ता-कमर जो तिरे गेसू-ए-रसा
मानी ये हैं कमर भी बराबर...
ज़िद है उन्हें पूरा मिरा अरमाँ न करेंगे
ज़िद है उन्हें पूरा मिरा अरमाँ न करेंगे
मुँह से जो 'नहीं' निकली है अब 'हाँ' न करेंगे
क्यूँ ज़ुल्फ़ का बोसा मुझे लेने नहीं देते
कहते...
आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते
आँखें मुझे तलवों से वो मलने नहीं देते
अरमान मिरे दिल के निकलने नहीं देते
ख़ातिर से तिरी याद को टलने नहीं देते
सच है कि हमीं...
इन्क़िलाब आया, नई दुन्या, नया हंगामा है
इन्क़िलाब आया, नई दुन्या, नया हंगामा है
इन्क़िलाब आया, नई दुन्या, नया हंगामा है
शाहनामा हो चुका, अब दौरे गांधीनामा है।
दीद के क़ाबिल अब उस उल्लू...