Tag: Arun Kamal

Arun Kamal

पुराना सवाल

पहले खेत बिके फिर घर, फिर ज़ेवर फिर बर्तन और वो सब किया जो ग़रीब और अभागे तब से करते आ रहे हैं जब से यह दुनिया बनी पत्नी...
Arun Kamal

अपनी पीढ़ी के लिए

वे सारे खीरे जिनमें तीतापन है हमारे लिए वे सब केले जो जुड़वाँ हैं वे आम जो बाहर से पके पर भीतर खट्टे हैं चूक और तवे...
Arun Kamal

सबसे ज़रूरी सवाल

सबसे ज़रूरी सवाल यही है मेरे लिए क्या हमारे बच्चों को भर पेट दूध मिल रहा है सबसे ज़रूरी सवाल यही है कि क्या प्रसूति माओं को...
Arun Kamal

धार

कौन बचा है जिसके आगे इन हाथों को नहीं पसारा यह अनाज जो बदल रक्त में टहल रहा है तन के कोने-कोने यह कमीज़ जो ढाल बनी है बारिश...
Arun Kamal

तुम चुप क्यों हो

क्या है गुप्त क्या है व्यक्तिगत जब गर्भ में बन्द बच्चा भी इतना खुला है इतना प्रत्यक्ष? कोई अपनी पत्नी को पीट रहा है बेतहाशा कहता है— मेरी औरत है कोई...
Arun Kamal

ओह बेचारी कुबड़ी बुढ़िया

अचानक ही चल बसी हमारी गली की कुबड़ी बुढ़िया, अभी तो कल ही बात हुई थी जब वह कोयला तोड़ रही थी आज सुबह भी मैंने उसको नल पर...
Yogphal - Arun Kamal

अरुण कमल कृत ‘योगफल’

'योगफल' कविता संग्रह - अरुण कमल "जब तुम हार जाओ जब वापिस लौटो वापिस उनही जर्जर पोथियों पत्रों के पास सुसुम धूप में फिर से ढूंढो वही शब्द लुप्त फिर से...
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