Tag: Ashok Vajpeyi
स्थगित नहीं होगा शब्द
स्थगित नहीं होगा शब्द—
घुप्प अंधेरे में
चकाचौंध में
बेतहाशा बारिश में
चलता रहेगा
प्रेम की तरह,
प्राचीन मन्दिर में
सदियों पहले की व्याप्त प्रार्थना की तरह—
स्थगित नहीं होगा शब्द—
मौन की...
वही तो नहीं रहने देगा
कविता संग्रह 'कहीं नहीं वहीं' से
प्रेम वही तो नहीं रहने देगा
उसके शरीर की लय को,
उसके लावण्य की आभा को
उसके नेत्रों के क्षितिज ताकते एकान्त...
अलग-साथ समय
उसका समय
मेरे समय से अलग है—
जैसे उसका बचपन, उसकी गुड़ियाँ-चिड़ियाँ
यौवन आने की उसकी पहली सलज्ज पहचान अलग है।
उसकी आयु
उसके एकान्त में उसका प्रस्फुटन,
उसकी इच्छाओं...
फिर आऊँगा
मैं फिर आऊँगा
भले ही जन्मान्तर के बाद
तुम्हारे ही पास।
मैं झगड़ा करूँगा
देवताओं से
और नक्षत्रों की बाधाएँ पार करके
सुबह खिड़की पर अकस्मात् आए
दूर देश के पक्षी...
हाथ
1
यह सुख भी असह्य हो जाएगा
यह पूरे संसार का
जैसे एक फूल में सिमटकर
हाथ में आ जाना
यह एक तिनके का उड़ना
घोंसले का सपना बनकर
आकाश में
यह...
‘कहीं नहीं वहीं’ से कविताएँ
'कहीं नहीं वहीं' से कविताएँ
सिर्फ़ नहीं
नहीं, सिर्फ़ आत्मा ही नहीं झुलसेगी
प्रेम में
देह भी झुलस जाएगी
उसकी आँच से
नहीं, सिर्फ़ देह ही नहीं जलेगी
अन्त्येष्टि में
आत्मा भी...
वही नहीं
शाम होने पर
पक्षी लौटते हैं
पर वही नहीं जो गए थे
रात होने पर फिर से जल उठती है
दीपशिखा
पर वही नहीं जो कल बुझ गयी थी
सूखी...
अन्त के बाद
'कहीं नहीं वहीं' से
1
अन्त के बाद
हम चुपचाप नहीं बैठेंगे।
फिर झगड़ेंगे।
फिर खोजेंगे।
फिर सीमा लांघेंगे।
क्षिति जल पावक
गगन समीर से
फिर कहेंगे—
चलो हमको रूप दो,
आकार दो।
वही जो पहले...
प्यार करते हुए सूर्य-स्मरण
यह कविता यहाँ सुनें:
https://youtu.be/yUBaa56oly8
जब मेरे होठों पर
तुम्हारे होंठों की परछाइयाँ झुक आती हैं
और मेरी उँगलियाँ
तुम्हारी उँगलियों की धूप में तपने लगती हैं
तब सिर्फ़ आँखें हैं
जो...
कितने दिन और बचे हैं?
कोई नहीं जानता कि
कितने दिन और बचे हैं?
चोंच में दाने दबाए
अपने घोंसले की ओर
उड़ती चिड़िया कब सुस्ताने बैठ जाएगी
बिजली के एक तार पर और
आल्हाद...
थोड़ा-सा
अगर बच सका
तो वही बचेगा
हम सब में थोड़ा-सा आदमी–
जो रौब के सामने नहीं गिड़गिड़ाता,
अपने बच्चे के नम्बर बढ़वाने नहीं जाता मास्टर के घर
जो रास्ते...
एक खिड़की
'Ek Khidki', a poem by Ashok Vajpeyi
मौसम बदले, न बदले
हमें उम्मीद की
कम से कम
एक खिड़की तो खुली रखनी चाहिए।
शायद कोई गृहिणी
वसंती रेशम में लिपटी
उस...