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किराये का घर
अनुवाद: डॉ भारतभूषण अग्रवाल
किराये का घर रूखी ज़मीन की तरह है, जड़ें जमाने में
बहुतेरी गर्मियाँ, बरसातें और जाड़े लग जाते हैं
सोच रहा हूँ कविता...
हिमशिला
मैं चाहता हूँ
इस धरती को तुम
थोड़ा-थोड़ा कर ही सही
समझना तो शुरू करो।
तुम खुद अपनी आँखों से देखो
किस तरह खण्डहर में तब्दील हो गये हैं
इतिहास...