Tag: bird

Ramdhari Singh Dinkar

भगवान के डाकिए

पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं— हम तो समझ नहीं पाते हैं मगर उनकी लायी चिट्ठियाँ पेड़, पौधे, पानी और...
Rohit Thakur

कविताएँ — मई 2020 (दूसरा भाग)

मैना निष्ठुर दिनों में देखा है कोई नहीं आता। मैना की ही बात करता हूँ कई मौसमों के बीत जाने पर आयी है मैं तो बच गया— विस्मृत हो रही...
Khwaja Ahmad Abbas

अबाबील

उसका नाम तो रहीम ख़ाँ था मगर उस जैसा ज़ालिम भी शायद ही कोई हो। गाँव-भर उसके नाम से काँपता था- न आदमी पर...
Rohit Thakur

कविताएँ – मई 2020

गौरैया गौरैया को देखकर कौन चिड़िया मात्र को याद करता है? गौरैया की चंचलता देखकर बेटी की चंचल आँखें याद आती हैं, पत्नी को देखता हूँ रसोई में हलकान गौरैया...
Badrinarayan

चिड़िया रे

चिड़िया रे! चिड़िया होने का अर्थ फाड़ दो, मछली रे! मछली होने का अर्थ काट दो, लड़की चिन्दी-चिन्दी कर दो लड़की होने के अर्थ को बकुल के फूल, बकुल...
Anamika Anu

अनामिका अनु की कविताएँ

मैं मारी जाऊँगी मैं उस भीड़ के द्वारा मारी जाऊँगी जिससे भिन्न सोचती हूँ। भीड़-सा नहीं सोचना भीड़ के विरुद्ध होना नहीं होता है। ज़्यादातर भीड़ के भले के लिए...
Birds

चहकती-फुदकती चिड़ियाँ

आज सुबह पेड़ की डाल पर फिर चहकीं चिड़ियाँ सुना मैंने पेड़ की नंगी डालों पर फुदक रही थीं चिड़ियाँ देखा मैंने ख़ाली कनस्तर ठण्डा चूल्हा प्रश्नचिह्न बनीं आँखें मन को छीलने वाली चुप्पी में गूँजती अनिवार्य...
Blue Bird

गोरैया

आज गोरैया ने गाना गाया, पोखर में नहायीं जी भर, धूप में बेख़ौफ़ ख़ुद को सुखाया फुदकती फिरी घास पर यूँ ही, सबने मिल चौपाल सजाया, बातों-बातों में किसी से रूठीं, फिर बातों से उन्हें मनाया, आज किसी...
Tree Branch, No Leaf, Autumn, Sad, Dry, Dead

सिर्फ़ पेड़ ही नहीं कटते हैं

तुम परेशान हो कि गुलमोहर सूख रहे हैं पेड़ कट रहे हैं चिड़ियाँ मर रही हैं और इस शहर में बसन्त टिकता नहीं... इस्पात की धमनियों में जब तक आदमी अपने...
Maun Sonchiri - Pratibha Sharma

‘मौन-सोनचिरी’ से कविताएँ

काव्य-संग्रह 'मौन-सोनचिरी' से प्रतिभा शर्मा की कविताएँ अमृता! हम नहीं हैं तृप्ताएँ आज फिर 'नौ सपने' पढ़े जैसे एक तीर्थ कर लिया वो अकेले हंस का धवल पँख अभी भी हिल...
Blue Bird

चिड़िया

'Chidiya', by Amandeep Gujral दूर गगन में उड़ती चिड़िया लौट धरा पर मुझ तक आयी, बोली तू भी पँख लगा ले चल सपनों में गोते खा ले । नभ...
Usha Dashora

मैंने कभी चिड़िया नहीं देखी

'Maine Kabhi Chidiya Nahi Dekhi', a poem by Usha Dashora अबकी बार जो आँख की पलक का बाल टूटे उल्टी मुठ्ठी पर रख माँगना विश कि तुम्हारे मोबाइल की...
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