Tag: जाति
एक को कहते सुना
एक को कहते सुना—
हम तो हैं ब्राह्मण
हमें है मालूम
कहाँ, किधर, किस दिशा में
हैं देखते भगवन
हमारी ही है ठेकेदारी
हमारे ही हैं देवता
और हमारी ही देवनारी।
एक...
कविताएँ: दिसम्बर 2021
अंशतः अमान्य विचारों का समीकरण
वह प्रभावकारी नहीं है
उसमें संवेदन को परिवर्तित करने की क्षमता नहीं
उससे समाज नहीं बनता है
उसके स्रष्टा दो-तीन प्रकार के नहीं...
आशिका शिवांगी सिंह की कविताएँ
माँ-पिता प्रेमी-प्रेमिका नहीं बन सके
मेरी माँ जब भी कहती है—
"प्रेम विवाह ज़्यादा दिन नहीं चलते, टूट जाते हैं"
तब अकस्मात ही मुझे याद आने लगते...
द्वारका भारती की कविताएँ
द्वारका भारती पंजाबी भाषा के सुपरिचित कवि, लेखक व उपन्यासकार हैं और पिछले कई सालों से पंजाबी दलित साहित्य आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे...
तुम्हारी जात-पाँत की क्षय
हमारे देश को जिन बातों पर अभिमान है, उनमें जात-पाँत भी एक है। दूसरे मुल्कों में जात-पाँत का भेद समझा जाता है भाषा के...
पूजा शाह की कविताएँ
पाज़ेब
पाज़ेब पाँवों में नहीं
स्तनों पर पहनने से सार्थक होंगी
जब औरतें क़दम रखती हैं
पकौड़ियों की थाली लिए
आदमियों से भरे कमरे में
उनकी गपशप के बीच
या जब...
गाँव की खूँटी पर
मेरे गाँव के धनाराम मेघवाल को जिस उम्र में
जाना चाहिए था स्कूल
करने चाहिए थे बाबा साहब के सपने पूरे
उस उम्र में उसने की थी...
किताब अंश: ‘मुर्दहिया’ – डॉ॰ तुलसीराम
मुर्दहिया डॉ॰ तुलसीराम की आत्मकथा है। 'मुर्दहिया' अनूठी साहित्यिक कृति होने के साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश के दलितों की जीवन स्थितियों तथा इस क्षेत्र...
युग-चेतना
मैंने दुःख झेले
सहे कष्ट पीढ़ी-दर-पीढ़ी इतने
फिर भी देख नहीं पाए तुम
मेरे उत्पीड़न को
इसलिए युग समूचा
लगता है पाखण्डी मुझको।
इतिहास यहाँ नक़ली है
मर्यादाएँ सब झूठी
हत्यारों की रक्तरंजित...
गुलाबी अयाल का घोड़ा
मुझे स्वतंत्रता पसन्द है
वह बढ़िया होती है समुद्र-जैसी
घोड़ा
आओ, उसका परिचय कर लेंगे
शतकों की सूलि पर चढ़ते हुऐ
उसने देखा है हमें
अपना सबकुछ शुरू होता है...
वजूद है
आज जब अख़बार देते हैं ख़बरें
हमारी अस्मिता लुट जाने की
बर्बरता और घिनौनी चश्मदीद
घटनाओं की
ख़ून खौल क्यूँ नहीं उठता हमारा?
सफ़ेदपोशी में ढँकते-ढाँपते
हम मुर्दा ही हो...
गधे का सर
हाथों का हाथी हूँ
पाँव का घोड़ा
सर पर धर दिया है तुमने
घोड़े जैसा
सब्र के गधे का सर
कोल्हू के बैल की तरह
आँखों पर बाँध दिया तुमने चमड़े...