Tag: जाति

Farmer, Field, Village

भयानक है छल : भाग-1

धूप तेज़ होने लगी थी आसमान में तैरने लगा हल्का-सा एक बादल सुदूर जंगल से घर लौटते हुए लकड़ी का गठ्ठर सिर पर उठाए तातप्पा के भीतर गहराता जा रही है अपनी...
Malkhan Singh

मुझे ग़ुस्सा आता है

मेरा माँ मैला कमाती थी बाप बेगार करता था और मैं मेहनताने में मिली जूठन को इकट्ठा करता था, खाता था। आज बदलाव इतना आया है कि जोरू मैला...
Om Prakash Valmiki

तब तुम क्या करोगे?

यदि तुम्हें धकेलकर गाँव से बाहर कर दिया जाए पानी तक न लेने दिया जाए कुएँ से दुत्कारा-फटकारा जाए चिलचिलाती दोपहर में कहा जाए तोड़ने को पत्थर काम के बदले दिया जाए खाने...
Tribe, Village, Adivasi, Labour, Tribal, Poor

समानान्तर इतिहास

इतिहास राजपथ का होता है पगडण्डियों का नहीं! सभ्यताएँ बनती हैं इतिहास और सभ्य इतिहास पुरुष! समय उन बेनाम क़दमों का क़ायल नहीं जो अनजान दर्रों जंगलों कछारों पर पगडण्डियों की आदिम लिपि— रचते हैं ये कीचड़-सने कंकड़-पत्थर...
Om Prakash Valmiki

शम्बूक का कटा सिर

जब भी मैंने किसी घने वृक्ष की छाँव में बैठकर घड़ी भर सुस्‍ता लेना चाहा, मेरे कानों में भयानक चीत्‍कारें गूँजने लगीं जैसे हर एक टहनी पर लटकी हो लाखों...
Woman Feet

घर की चौखट से बाहर

दरवाज़े के पीछे परदे की ओट से झाँकती औरत दरवाज़े से बाहर देखती है- गली-मोहल्ला, शहर, संसार! आँख, कान, विचार स्वतन्त्र हैं बन्धन हैं सिर्फ़ पाँव में कुल की लाज सीमाओं का...
Abstract Painting of a woman, person from Sushila Takbhore book cover

गाली

वफ़ा के नाम पर अपने आप को एक कुत्ता कहा जा सकता है, मगर कुतिया नहीं। कुतिया शब्द सुनकर ही लगता है यह एक गाली है। क्या इसलिए कि वह स्त्री है उसका...
Sheoraj Singh Bechain

टैगोर

'Tagore', a poem by Sheoraj Singh Bechain कबीर की सौ कविताएँ रैदास के शब्दों का सारा ज्ञान संगीत की साधना गीतांजलि का अद्भुत अवदान सब एक ओर सब बेमतलब यदि मानव को अछूत करने...
Namdeo Dhasal

माँ

अनुवाद : निशिकांत ठकार दुःख इस बात का नहीं है कि माँ चल बसी हर किसी की माँ कभी न कभी मर जाती है दुःख इस बात...
Manikarnika

मणिकर्णिका – डॉ. तुलसीराम

डॉ. तुलसीराम की आत्मकथा (दूसरा खण्ड) 'मणिकर्णिका' से किताब अंश | Book Excerpt from 'Manikarnika' by Dr. Tulsiram मैं उस मकान में लगभग डेढ़ साल...
Stree Hawker, Vendor, Woman

कवच

'Kawach', a story by Urmila Pawar अनुवाद: कौशल्या बैसंत्री सवेरे, अँधेरे में उठते ही इन्दिरा का मुँह चूड़ियों की तरह बजने लगा। रुक-रुककर वह गौन्या को...

मेरी प्रिय कविता

'Meri Priya Kavita', a poem by Namdeo Dhasal मराठी से अनुवाद: सूर्यनारायण रणसुभे मुझे नहीं बसाना है अलग से स्वतन्त्र द्वीप मेरी प्रिय कविता, तू चलती रह सामान्य...
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