Tag: बचपन
मिठाईवाला
बहुत ही मीठे स्वरों के साथ वह गलियों में घूमता हुआ कहता, "बच्चों को बहलानेवाला, खिलौनेवाला।"
इस अधूरे वाक्य को वह ऐसे विचित्र किन्तु मादक-मधुर...
पेंसिल
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बेंच पे बैठी
ब्लू जींस वाली लड़की
पेंसिल छीलती है
और उसमें से
फूटता है इक काला फूल
पेंसिल लिखती है
काले-काले अक्षर
कोरे काग़ज़ पर
जैसे काली तितलियाँ!
पेंसिल लिखती है
सफ़ेद अक्षर
आसमान...
नीली बनारसी साड़ी
एक लड़की के बचपन की सबसे मधुर स्मृतियों में एक स्मृति उसकी माँ के सुन्दर-सुन्दर कपड़े और साड़ियों की स्मृति और मेरी स्मृति में...
कुल्हाड़ी
यहाँ लकड़ी कटती है लगातार
थोड़ा-थोड़ा आदमी भी कटता है
किसी की
उम्र कट जाती है
और पड़ी होती धूल में टुकड़े की तरह
शोर से भरी
इस गली में
कहने...
खिड़की में खड़ी नन्ही लड़की
किताब अंश: 'तोत्तो चान'
माँ की चिन्ता का एक कारण था। तोत्तो-चान ने अभी हाल में ही स्कूल जाना शुरू किया था। पर उसे पहली...
भुलभुलैया
पहाड़ से सीधे लम्बवत गिरती नदी
बनाने वाले बच्चे नहीं जानते
नाला बनकर सूख जाएगी
नदी यह एक दिन
छोटी इ, बड़ी ई पढ़ने वाले
बच्चे बिल्कुल नहीं समझते
छोटा-बड़ा बस...
बाबा की अलमारी
रहस्यमयी लगती थी
हम बहनों को
हरे रंग की
बाबा की छोटी अलमारी,
मुरचाई मैली-सी
फिर भी
लगती हमको प्यारी।
यूँ तो घर के हर कोने में
होती अपनी आवाजाही
पर उसको छूने...
नन्ही बच्चियाँ
'Nanhi Bachchiyaan', a poem by Nirmal Gupt
दो नन्ही बच्चियाँ घर की चौखट पर बैठीं
पत्थर उछालती, खेलती हैं कोई खेल
वे कहती हैं इसे- गिट्टक!
इसमें न...
सुरक्षित बाड़, अप्राप्य बचपन
सुरक्षित बाड़
जब वह घूमती है
अपनी घर की चारदीवारी में
जैसे,
वह संसार की सबसे सुरक्षित बाड़ हो
तब मैं
उस बाड़ की समीप से टोह लेने लगती हूँ
कि...
मेरे बचपन का गाँव
नीले आकाश में खिलते
तारे अनगिनत,
आसमान की सैर को तरसते वृक्ष।
झाड़ियों के झुरमुट में
छिपे घोंसले अनगिनत,
कभी चलते कभी रुकते क़दमों के नीचे
आती गीली मिट्टी
और कभी...
मुठ्ठी भर बचपन
लाल रंग की गेंदें
भेज दी गयी हैं कारखानों में
जहाँ भरी जाती है अब
उनमें बारूद
सारे बल्ले, बनाये जा रहे हैं
अब बन्दूकें
अब दोनों मिल कर
मैदान में डट...
बचपन में दुस्वप्न बनी कोरेगाँव की यात्रा
हमारा परिवार मूल रूप से बांबे प्रसिडेंसी के रत्नागिरी जिले में स्थित डापोली तालुके का निवासी है। ईस्ट इंडिया कंपनी का राज शुरू होने...