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‘ठिठुरते लैम्प पोस्ट’ से कविताएँ
अदनान कफ़ील 'दरवेश' का जन्म ग्राम गड़वार, ज़िला बलिया, उत्तर प्रदेश में हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय से कम्प्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने...
सफ़ेद रात
पुराने शहर की इस छत पर
पूरे चाँद की रात
याद आ रही है वर्षों पहले की
जंगल की एक रातजब चाँद के नीचे
जंगल पुकार रहे थे...
आदमी का गाँव
हर आदमी के अन्दर एक गाँव होता है
जो शहर नहीं होना चाहता
बाहर का भागता हुआ शहर
अन्दर के गाँव को बेढंगी से छूता रहता है
जैसे उसने...
एक रजैया बीवी-बच्चे
Ek Rajaiya Biwi Bachche | Ramkumar Krishakएक रजैया बीवी-बच्चे
एक रजैया मैं
खटते हुए ज़िन्दगी बोली—
हो गया हुलिया टैं!जब से आया शहर
गाँव को बड़े-बड़े अफ़सोस
माँ-बहनें-परिवार घेर-घर...
बंदोबस्त
शहर ख़ाली हो चुके हैं
लोगों से,
जब तक कोई बसता था यहाँ
उदासी ढोता था
ताने खाता था और
लानत ओढ़कर सो जाता थाखिन्न और अप्रसन्न लोग
भड़के और...
कविताएँ — जुलाई 2020
शहर
1किसी पुराने शहर की
गलियों के पत्थर उखड़ने लगे हैं
कुछ बदरंग इमारतें ढह गई हैंबेवश एक बुज़ुर्ग
आसमान देखता है
और अपनी
मौत का इंतज़ार करता है
उस बुज़ुर्ग की...
कुमार मंगलम की कविताएँ
रात के आठ बजे
मैं सो रहा था उस वक़्त
बहुत बेहिसाब आदमी हूँ
सोने-जगने-खाने-पीने
का कोई नियत वक़्त नहीं है
ना ही वक़्त के अनुशासन में रहा हूँ कभीमैं सो...
शहर से गुज़रते हुए प्रेम, कविता पढ़ना, बेबसी
शहर से गुज़रते हुए प्रेम
मैं जब-जब शहर से गुज़रता हूँ
सोचता हूँ
किसने बसाए होंगे शहर?शायद गाँवों से भागे
प्रेमियों ने शहर बसाए होंगे
ये वो अभागे थे,
जो फिर लौटना...
एक शहर का आशावाद
'Ek Shehar Ka Ashavad', a poem by Nirmal Guptमैं हमेशा उस महानगर में जाकर
रास्ते भूल जाता हूँ
जिसके बारे में यह कहा जाता है
कि वह...
मेरा शहर
कहाँ कुछ बदला शहर में,
सब कुछ वैसा ही तो है
जैसा छोड़ा था कभी,
सड़कें आलसी-सी
बोझ से दबी,
मोड़ वैसे ही सुस्त और
कटीले,
हवाएँ उतनी ही शोखी से
दुपट्टे...
शहर
एक शहर को
कुहासे के भीतर से
देखना अच्छा लगता है
जब
भागता हुआ शहर
सिकुड़कर
छोटा हो जाता है और
थम जाता है
कुछ देर के लिएशहर जानता है
कुहासे का छँटना...