Tag: country

Amit Tiwary

पीठ

1 बोझा ढोते-ढोते इस देश की पीठ इतनी झुक गयी है कि पलटकर किए जाने वाले काम स्वतंत्रता या संविधान की तरह माने जा चुके हैं किसी पौराणिक गप्प का हिस्सा। 2 राजनीति— नियमों...
Alok Dhanwa

सफ़ेद रात

पुराने शहर की इस छत पर पूरे चाँद की रात याद आ रही है वर्षों पहले की जंगल की एक रात जब चाँद के नीचे जंगल पुकार रहे थे...
Kamal Kumar Tanti

जिस दिन हमने अपना देश खोया

'लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ' से बचपन के मैग्नीफ़ाईंग ग्लास में सबसे पहली झलक में देख पाता हूँ अपनी ज़मीन के पास किसी चट्टान पर बैठा हुआ ख़ुद को मुझे याद...
Sharad Joshi

होता रहता है वही

'पिछले दिनों' से कुछ बातें हैं, जो इस देश में हमेशा होती रहती हैं। जैसे कोई विदेशी सत्ताधारी हवाई जहाज़ से उतरता है और हमारी...
Sarveshwar Dayal Saxena

देशगान

क्या ग़ज़ब का देश है, यह क्या ग़ज़ब का देश है। बिन अदालत औ मुवक्किल के मुक़दमा पेश है। आँख में दरिया है सबके दिल में है...
Morning, Sky, Birds, Sunrise, Sunset

मिट्टी

ताओयुआन एरपोर्ट से लगेज बैग लेकर ज्यांगोंग रोड स्थित अपने नये ठिकाने पर आकर सामान की जाँच करने पर मैंने पाया सही सलामत बैग में रखे पहुँच गये...
Gorakh Pandey

अधिनायक वंदना

जन गण मन अधिनायक जय हे! जय हे हरित क्रान्ति निर्माता जय गेहूँ हथियार प्रदाता जय हे भारत भाग्य विधाता अंग्रेज़ी के गायक जय हे! जन गण मन अधिनायक जय...
Paash

अपनी असुरक्षा से

यदि देश की सुरक्षा यही होती है कि बिना ज़मीर होना ज़िन्दगी के लिए शर्त बन जाए आँख की पुतली में हाँ के सिवाय कोई भी...
Paritosh Kumar Piyush

नया शब्दकोश

कुछ तो है भीतर बेरंग बादल-सा उमड़ता, घुमड़ता, गहराता, डराता मैं ख़ुद की दहशत में हूँ बेहद शान्त, भयभीत जैसे कोई हारा हुआ खिलाड़ी जैसे कोई ट्रेन से छूटा हुआ...
Kedarnath Agarwal

ज़िन्दगी

देश की छाती दरकते देखता हूँ! थान खद्दर के लपेटे स्वार्थियों को, पेट-पूजा की कमाई में जुता मैं देखता हूँ! सत्य के जारज सुतों को, लंदनी गौरांग प्रभु...
Harshita Panchariya

मातृ और मातृभूमि

'Matr aur Matrbhoomi', poems by Harshita Panchariya मेरे लिए मातृ और मातृभूमि में इतना ही अन्तर रहा जितना धर्म और ईश्वर में रहा धर्म मानव बनने का ज़रिया...
Choolha

देश

'Desh', Hindi Kavita by Vijay Rahi देश एल्यूमीनियम की पुरानी घिसी एक देकची है जो पुश्तैनी घर के भाई-बँटवारे में आयी। लोकतंत्र चूल्हा है श्मशान की काली...
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