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थके हुए कलाकार से
सृजन की थकन भूल जा देवता
अभी तो पड़ी है धरा अधबनी!
अभी तो पलक में नहीं खिल सकी
नवल कल्पना की मधुर चाँदनी,
अभी अधखिली ज्योत्सना की...
‘उस दुनिया की सैर के बाद’ से कविताएँ
'उस दुनिया की सैर के बाद' से
अपने ही रचे को
पहली बरसात के साथ ही
घरों से निकल पड़ते हैं बच्चे
रचने रेत के घर
घर बनाकर
घर-घर खेलते...