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Dharmvir Bharati

थके हुए कलाकार से

सृजन की थकन भूल जा देवता अभी तो पड़ी है धरा अधबनी! अभी तो पलक में नहीं खिल सकी नवल कल्पना की मधुर चाँदनी, अभी अधखिली ज्योत्सना की...
Sanwar Daiya

‘उस दुनिया की सैर के बाद’ से कविताएँ

'उस दुनिया की सैर के बाद' से अपने ही रचे को पहली बरसात के साथ ही घरों से निकल पड़ते हैं बच्चे रचने रेत के घर घर बनाकर घर-घर खेलते...
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