Tag: Darkness
सुना है कभी तुमने रंगों को
कभी-कभी
उजाले का आभास
अंधेरे के इतने क़रीब होता है
कि दोनों को अलग-अलग
पहचान पाना मुश्किल हो जाता है।
धीरे-धीरे
जब उजाला
खेलने-खिलने लगता है
और अंधेरा उसकी जुम्बिश से
परदे की...
राहुल तोमर की कविताएँ
प्रतीक्षा
उसकी पसीजी हथेली स्थिर है
उसकी उँगलियाँ किसी
बेआवाज़ धुन पर थिरक रही हैं
उसका निचला होंठ
दाँतों के बीच नींद का स्वाँग भर
जागने को विकल लेटा हुआ...
कायनात की कविताएँ
1
इश्क़,
तुम मेरी ज़िन्दगी में आओ तो यूँ आओ
कि जैसे किसी पिछड़े हुए गाँव में
कोई लड़की घण्टों रसोई में खपने के बाद
पसीने से भीगी बाहर...
अन्धेरे के बारे में कुछ वाक्य
अन्धेरे में सबसे बड़ी दिक़्क़त यह थी कि वह किताब पढ़ना
नामुमकिन बना देता था।
पता नहीं शरारतन ऐसा करता था या किताब से डरता था
उसके मन...
गिरना
आपाधापी में गुज़रते समय से गुज़रकर
लगता है कि हम मनुष्य नहीं रहे
समय हो चले हैं
हम बस बीत रहे हैं—लगातार।
हमारा बीतना किसी निविड़ अन्धकार में...
कुल्हाड़ी
यहाँ लकड़ी कटती है लगातार
थोड़ा-थोड़ा आदमी भी कटता है
किसी की
उम्र कट जाती है
और पड़ी होती धूल में टुकड़े की तरह
शोर से भरी
इस गली में
कहने...
कविताएँ – मई 2020
चार चौक सोलह
उन्होंने न जाने कितनी योनियाँ पार करके
पायी थी दुर्लभ मनुष्य देह
पर उन्हें क्या पता था कि
एक योनि से दूसरी योनि में पहुँचने के
कालान्तर से...
शंकरानंद की कविताएँ
'पदचाप के साथ' कविता संग्रह से
बल्ब
इतनी बड़ी दुनिया है कि
एक कोने में बल्ब जलता है
दूसरा कोना अन्धेरे में डूब जाता है,
एक हाथ अन्धेरे में हिलता है
दूसरा...