Tag: Dawn
कितने प्रस्थान
सूरज
अधूरी आत्महत्या में उड़ेल आया
दिन-भर का चढ़ना
उतरते हुए दृश्य को
सूर्यास्त कह देना कितना तर्कसंगत है
यह संदेहयुक्त है
अस्त होने की परिभाषा में
कितना अस्त हो जाना
दोबारा...
सुबह
कितना सुन्दर है
सुबह का
काँच के शीशों से झाँकनाइसी ललछौंहे अनछुए स्पर्श से
जागती रही हूँ मैं
बचपन का अभ्यास इतना
सध गया है
कि आँखें खुल ही जाती...
अन्तिम प्रहर
है वही अन्तिम प्रहर
सोयी हुई हैं हरकतें
इन खनखनाती बेड़ियों में लिपटकरहै वही अन्तिम प्रहर
है वही मेरे हृदय में एक चुप-सी
कान में आहट किसी की
थरथराती...
एक उमड़ता सैलाब
हममें ही डूबा है वह क्षितिज
जहाँ से उदित होता है
सबका आकाश
फेंकता ऊषाएँ
ऋतुएँ, वर्ष, संवत्सर
उछालताव्यर्थ है प्रतीक्षा
उन अश्वों के टापों की
जो दो गहरे लम्बे सन्नाटों
के...
वो सुब्ह कभी तो आएगी
वो सुब्ह कभी तो आएगीइन काली सदियों के सर से जब रात का आँचल ढलकेगा
जब दुःख के बादल पिघलेंगे, जब सुख का सागर छलकेगा
जब...
सुबह ऐसे आती है
'Subah Aise Aati Hai', Hindi Kavita by Nirmal Guptपुजारी आते हैं नहा-धोकर
अपने-अपने मंदिरों में,
जब रात घिरी होती है।
वे जल्दी-जल्दी कराते हैं
अपने इष्ट देवताओं को...
सुबह की तलाश
"वे अपने आंगन में
एक किरण उतारने
एक गुलाब खिलाने की कला में
हर बार चूक गये।"
उल्कापिंड के गीले-गीले दीप
वह कौन से ऐसे पल होते हैं जो हमारी आँखों में भर देते हैं विश्वास के आँसू और जहाँ जबरन चिपका दिए जाते हों...
चुगलखोर शाम
शाम, हर शाम हर चेहरे पर
दिन को डायरी की तरह लिखती है
जिसमें दर्ज होती हैं दिन भर की सारी
नाकामियाँ, परेशानियाँ, हैरानियाँ, नादानियाँ
और हाशिए पर
धकेली...