Tag: Death
मरघट
नदिया का तट जहाँ बहुत से गाँवो का पनघट है,
वहाँ बहुत गाँवो का मरघट भी नदिया का तट है
कहीं पहुँचते हैं प्यासे घट जीवन-रस...
ओह बेचारी कुबड़ी बुढ़िया
अचानक ही चल बसी
हमारी गली की कुबड़ी बुढ़िया,
अभी तो कल ही बात हुई थी
जब वह कोयला तोड़ रही थी
आज सुबह भी मैंने उसको
नल पर...
मसानी बैराग
शान्त मौन ठहरा सा
जड़, प्राणहीन काला लिबास
डब्बे में बन्द
केवल शरीर
लोगों की भीड़
धीरे धीरे सरकती
फुसफुसाती, इशारों में बढ़ती
अन्तिम यात्राशास्त्रों का भार
रटी हुई पंक्तियाँ
यन्त्रवत विलाप
मसानी बैराग...
अपने सिवा हर एक की हँसी-मुस्कराहट अजीब लगती है
"अपने सिवा हर एक की हँसी-मुस्कराहट अजीब लगती है। अस्वाभाविक। लगता है, मौत के साये में कैसे कोई हँस-मुस्करा सकता है। पर फिर अपने गले से भी कुछ वैसी आवाज़ सुनाई देती है।"
मौत का बीज
"आदमी को अपनी दिमाग की अटारी में वह सारा फर्नीचर रखना चाहिए, जो उसके काम आ सकता है और बाकी वह अपनी लाइब्रेरी के कमरे में रख सकता है, और जब चाहे तब इसे निकाल सकता है।""मैंने चार बार मार खायी है, तीन बार आदमियों द्वारा और एक बार स्त्री द्वारा।""मैं आपसे कुछ मामले में सलाह लेने आया हूँ, उम्मीद है आप मुझे निराश नहीं करेंगे।""वो तुम्हें अवश्य मिलेगी।""और मदद?""यह प्राप्त करना हमेशा आसान नहीं है।"
दिल्ली में एक मौत
"सात नंबर की बस छूट रही है। सूलियों पर लटके ईसा उसमें चले जा रहे हैं और क्यू में खड़े और लोगों को कंडक्टर पेशगी टिकट बाँट रहा है। हर बार जब भी वह पैसे वापस करता है तो रेजगारी की खनक यहाँ तक आती है। धुंध में लिपटी रूहों के बीच काली वर्दी वाला कंडक्टर शैतान की तरह लग रहा है।और अर्थी अब कुछ और पास आ गई है।"