Tag: Deepti Naval
कोई टाँवाँ-टाँवाँ रोशनी है
कोई टाँवाँ-टाँवाँ रोशनी है
चाँदनी उतर आयी बर्फ़ीली चोटियों से
तमाम वादी गूँजती है बस एक ही सुर में
ख़ामोशी की यह आवाज़
होती है…
तुम कहा करते हो न!
इस...
अजनबी
'Ajnabi', a poem by Deepti Naval
अजनबी रास्तों पर
पैदल चलें
कुछ न कहें
अपनी-अपनी तन्हाइयाँ लिए
सवालों के दायरों से निकलकर
रिवाजों की सरहदों के परे
हम यूँ ही साथ...