Tag: Democracy
आपके गणतंत्र की एक स्त्री की प्रेमकथा
एक स्त्री प्यार करना चाहती थी
लेकिन प्यार करने से चरित्र नष्ट होता है
स्त्री प्यार करना चाहती थी
किन्तु चरित्र नहीं नष्ट करना चाहती थी
एक स्त्री...
तीन चित्र : स्वप्न, इनकार और फ़ुटपाथ पर लेटी दुनिया
1
हम मृत्यु-शैय्या पर लेटे-लेटे
स्वप्न में ख़ुद को दौड़ता हुआ देख रहे हैं
और हमें लगता है हम जी रहे हैं
हम अपनी लकड़ियों में आग के...
आधुनिकता
मैं इक्कीसवीं सदी की
आधुनिक सभ्यता का आदमी हूँ
जो बर्बरता और जंगल
पीछे छोड़ आया है
मैं सभ्य समाज में
बेचता हूँ अपना सस्ता श्रम
और दो वक़्त की...
वे लोकतंत्र को कम जानते थे
वे बहुत पढ़ी-लिखी नहीं थीं
ताइवान में काम मिलने की ख़बर उन्हें सुना
उनके पैर छू रहा था जब मैं
मुझे आशीर्वाद देते हुए उन्होंने कहा—
"बेटा सम्भलकर...
पीठ
1
बोझा ढोते-ढोते
इस देश की पीठ
इतनी झुक गयी है
कि पलटकर किए जाने वाले काम
स्वतंत्रता या संविधान की तरह
माने जा चुके हैं
किसी पौराणिक गप्प का हिस्सा।
2
राजनीति—
नियमों...
पाँव कटे बिम्ब
घिसटते हैं मूल्य
बैसाखियों के सहारे
पुराने का टूटना
नये का बनना
दीखता है—सिर्फ़ डाक-टिकटों पर
लोकतंत्र की परिभाषा
क्या मोहताज होती है
लोक-जीवन के उजास हर्फ़ों की?
तो फिर क्यों दीखते...
एक छोटी-सी लड़ाई
मुझे लड़नी है एक छोटी-सी लड़ाई
एक झूठी लड़ाई में मैं इतना थक गया हूँ
कि किसी बड़ी लड़ाई के क़ाबिल नहीं रहा।
मुझे लड़ना नहीं अब—
किसी...
डैमोक्रैसी
पार्क के कोने में
घास के बिछौने पर लेटे-लेटे
हम अपनी प्रेयसी से पूछ बैठे—
क्यों डियर!
डैमोक्रैसी क्या होती है?
वो बोली—
तुम्हारे वादों जैसी होती है!
इंतज़ार में
बहुत तड़पाती...
धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र
स्वघोषित उद्देश्यों को
प्रतीक मान
मन चाहे कपड़ों से निर्मित ध्वज
दूर आसमान की ऊँचाइयों में—
फहराने भर से
लोकतंत्र की जड़ें
भला कैसे हरी रहेंगी?
तुम शायद नहीं जानते
भरे बादल को
पेट...
चिलम में चिंगारी और चरखे पर सूत
मेरे बच्चो! अपना ख़याल रखना
आधुनिकता की कुल्हाड़ी
काट न दे तुम्हारी जड़ें
जैसे मोबाइलों ने
लोक-कथाओं और बातों के पीछे
लगने वाले हँकारों को काट दिया है जड़ों सहित
वर्तमान...
देश काग़ज़ पर बना नक़्शा नहीं होता
यदि तुम्हारे घर के
एक कमरे में आग लगी हो
तो क्या तुम
दूसरे कमरे में सो सकते हो?
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में
लाशें सड़ रही...
तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
तुम्हारी फ़ाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आँकड़ें झूठे हैं, ये दावा किताबी है
उधर जम्हूरियत का ढोल पीटे जा रहे हैं वो
इधर...