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Birds

इक मरुस्थल इक समुंदर

इक मरुस्थल, इक समंदर। पा रहा हूँ अपने अंदर। यूँ तुम्हारे दिल से निकला जैसे लौटा था सिकंदर। फिर उड़ेंगे खग नए कल हमसे सुंदर, तुमसे सुंदर। थकके लौटे ज्वार...
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