Tag: Diary Notes
कुछ दूर चलते ही
घर में आख़िरी रात। समान लगाने की प्रक्रिया में भावनाओं को रोकना एक मुश्किल काम है। भावनाएँ जो इतने दिन दिल्ली में रहने से...
बिखरा-बिखरा, टूटा-टूटा : कुछ टुकड़े डायरी के (तीन)
कल रात मैंने चश्मे के टूटे हुए काँच को जोड़ते हुए महसूस किया कि टूटे हुए को जोड़ना बहुत धैर्य का काम है। इसके...
बिखरा-बिखरा, टूटा-टूटा : कुछ टुकड़े डायरी के (दो)
सम्वाद महज़ शब्दों से तो नहीं होता। जब शब्द चूक जाते हैं, तब स्पर्श की अर्थवत्ता समझ आती है। ग़ालिब कहते हैं— "मौत का...