Tag: Discrimination
आज भी
आज भी होंगे करोड़ों पर अन्याय
अत्याचार होंगे लाखों पर
इस शाम भी असंख्य सोएँगे भूखे या आधे पेट
हज़ारों-हज़ार रहेंगे बेआसरा-बेसहारा
औरतें गुज़रेंगी हर सम्भव-असम्भव अपमान से
बच्चे...
एकलव्य का कटा अँगूठा
'Eklavya Ka Kata Angootha', a poem by Alok Azadवो जो हर बार तुम्हारे
न्यायालय की दीवारों पर
आज़ादी लिखने आता हैवो जो सड़कों पर
मुट्ठी को भींच
इंक़लाब के...
रगों में दौड़ती असमानता
सभी इंसान एक जैसे होते हैं,
सभी के रगों में ख़ून दौड़ता है,
मेरी इस गलतफ़हमी का दम घोंट दिया
तुम्हारे बाएँ हाथ की मसरूफ़ियत के बीच
तुम्हारे...