Tag: Discrimination

Vishnu Khare

आज भी

आज भी होंगे करोड़ों पर अन्याय अत्याचार होंगे लाखों पर इस शाम भी असंख्य सोएँगे भूखे या आधे पेट हज़ारों-हज़ार रहेंगे बेआसरा-बेसहारा औरतें गुज़रेंगी हर सम्भव-असम्भव अपमान से बच्चे...
Arrow, Baan, Archery

एकलव्य का कटा अँगूठा

'Eklavya Ka Kata Angootha', a poem by Alok Azad वो जो हर बार तुम्हारे न्यायालय की दीवारों पर आज़ादी लिखने आता है वो जो सड़कों पर मुट्ठी को भींच इंक़लाब के...
Leaves, Leaf, Difference, Different but same

रगों में दौड़ती असमानता

सभी इंसान एक जैसे होते हैं, सभी के रगों में ख़ून दौड़ता है, मेरी इस गलतफ़हमी का दम घोंट दिया तुम्हारे बाएँ हाथ की मसरूफ़ियत के बीच तुम्हारे...
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