Tag: विरोध
कहाँ हैं तुम्हारी वे फ़ाइलें
मैं जानता था—तुम फिर यही कहोगे
यही कहोगे कि राजस्थान और बिहार में सूखा पड़ा है
ब्रह्मपुत्र में बाढ़ आयी है, उड़ीसा तूफ़ान की चपेट में...
कविताएँ: दिसम्बर 2021
आपत्तियाँ
ट्रेन के जनरल डिब्बे में चार के लिए तय जगह पर
छह बैठ जाते थे
तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होती थी
स्लीपर में रात के समय...
आधुनिकता
मैं इक्कीसवीं सदी की
आधुनिक सभ्यता का आदमी हूँ
जो बर्बरता और जंगल
पीछे छोड़ आया है
मैं सभ्य समाज में
बेचता हूँ अपना सस्ता श्रम
और दो वक़्त की...
लगभग विशेषण हो चुका शासक
किसी अटपटी भाषा में दिए जा रहे हैं
हत्याओं के लिए तर्क
'एक अहिंसा है
जिसका सिक्का लिए
गांधीजी हर शहर में खड़े हैं
लेकिन जब भी सिक्का उछालते...
खलील जिब्रान – ‘नास्तिक’
खलील जिब्रान की किताब 'नास्तिक' से उद्धरण | Quotes from 'Nastik', a book by Kahlil Gibran
चयन: पुनीत कुसुम
"मेरा कोई शत्रु नहीं है, पर भगवान,...
ख़ुदा होने के लिए
किस जाति या भाषा का मंसूबा तुम हो
ठीक है पर इतनी बड़ी देह में कहीं रोयाँ भर वह जगह है
जिस पर उँगली रख तुम...
तब वे कवि हो जाते हैं
जब बच्चे लम्बी साँस लेकर
मारते हैं किलकारियाँ
तब गौरैया की तरह उड़ता है माँ का मन
जब बच्चों की कोमल हथेलियाँ
छूती हैं मिट्टी
तब बन जाते हैं...
एक छोटी-सी लड़ाई
मुझे लड़नी है एक छोटी-सी लड़ाई
एक झूठी लड़ाई में मैं इतना थक गया हूँ
कि किसी बड़ी लड़ाई के क़ाबिल नहीं रहा।
मुझे लड़ना नहीं अब—
किसी...
ख़ून फिर ख़ून है
ज़ुल्म फिर ज़ुल्म है, बढ़ता है तो मिट जाता है
ख़ून फिर ख़ून है, टपकेगा तो जम जाएगा
ख़ाक-ए-सहरा पे जमे या कफ़-ए-क़ातिल पे जमे
फ़र्क़-ए-इंसाफ़ पे...
ग़ुलामी की अन्तिम हदों तक लड़ेंगे
इस ज़माने में जिनका ज़माना है भाई
उन्हीं के ज़माने में रहते हैं हम
उन्हीं की हैं सहते, उन्हीं की हैं कहते
उन्हीं की ख़ातिर दिन-रात बहते...
मेहनतकशों का गीत
किसकी मेहनत और मशक़्क़त
किसके मीठे-मीठे फल हैं?
अपनी मेहनत और मशक़्क़त
उनके मीठे-मीठे फल हैं!
किसने ईंट-ईंट जोड़ी हैं
किसके आलीशान महल हैं?
हमने ईंट-ईंट जोड़ी हैं
उनके आलीशान महल...
लोहा
आप लोहे की कार का आनन्द लेते हो
मेरे पास लोहे की बन्दूक़ है
मैंने लोहा खाया है
आप लोहे की बात करते हो
लोहा जब पिघलता है
तो भाप नहीं...