Tag: Dissent
लोहा
आप लोहे की कार का आनन्द लेते हो
मेरे पास लोहे की बन्दूक़ है
मैंने लोहा खाया है
आप लोहे की बात करते हो
लोहा जब पिघलता है
तो भाप नहीं...
इंक़लाब का गीत
हमारी ख़्वाहिशों का नाम इंक़लाब है!
हमारी ख़्वाहिशों का सर्वनाम इंक़लाब है!
हमारी कोशिशों का एक नाम इंक़लाब है!
हमारा आज एकमात्र काम इंक़लाब है!
ख़तम हो लूट...
धिक्कार है
आँख मूँद जो राज चलावै
अंधरसट्ट जो काज चलावै
कहे-सुने पर बाज न आवै
सब का चूसै—लाज न लावै
ऐसे अँधरा को धिक्कार!
राम-राम है बारम्बार!!
कानों में जो रुई...
अपनी जंग रहेगी
जब तक चंद लुटेरे इस धरती को घेरे हैं
अपनी जंग रहेगी
अहल-ए-हवस ने जब तक अपने दाम बिखेरे हैं
अपनी जंग रहेगी
मग़रिब के चेहरे पर यारो...
नया मोर्चा
फिर अपने जूतों के फीते कसने लगे हैं—लोग
चील की छाया—गिद्ध बने
उसके पहले ही
भीतर का भय पोंछ
ट्राम-बसों में सफ़र करते—ख़ामोश होंठ
फिर हिलने लगे हैं।
हवा के...
वे बैठे हैं
वे बैठे हैं
पलथी टिकाए
आँख गड़ाए
अपनी रोटी बाँधकर ले आए हैं,
रखते हैं तुम्हारे सामने
अपने घरों के चूल्हे,
आश्वासन नहीं माँगते तुमसे
माँगते हैं रोटी के बदले रोटी
अपने...
कविताएँ: दिसम्बर 2020
1
हॉस्टल के अधिकांश कमरों के बाहर
लटके हुए हैं ताले
लटकते हुए इन तालों में
मैं आने वाला समय देख रहा हूँ
मैं देख रहा हूँ
कमरों के भीतर
अनियन्त्रित...
रोटी माँग रहे लोगों से
रोटी माँग रहे लोगों से किसको ख़तरा होता है?
यार सुना है लाठी-चारज, हल्का-हल्का होता है।
सिर फोड़ें या टाँगें तोड़ें, ये क़ानून के रखवाले,
देख रहे हैं...
कायरों का गीत
शोर करोगे! मारेंगे
बात कहोगे! मारेंगे
सच बोलोगे! मारेंगे
साथ चलोगे! मारेंगे
ये जंगल तानाशाहों का
इसमें तुम आवाज़ करोगे? मारेंगे...
जो जैसा चलता जाता है, चलने दो
दीन-धरम के नाम...
जन-प्रतिरोध
जब भी किसी
ग़रीब आदमी का अपमान करती है
ये तुम्हारी दुनिया,
तो मेरा जी करता है
कि मैं इस दुनिया को
उठाकर पटक दूँ!
इसका गूदा-गूदा छींट जाए।
मज़ाक़ बना...
प्रश्न
मोड़ोगे मन
या सावन के घन मोड़ोगे?
मोड़ोगे तन
या शासन के फन मोड़ोगे?
बोलो साथी! क्या मोड़ोगे?
तोड़ोगे तृण
या धीरज धारण तोड़ोगे?
तोड़ोगे प्रण
या भीषण शोषण तोड़ोगे?
बोलो साथी! क्या...
कौन आज़ाद हुआ
कौन आज़ाद हुआ?
किसके माथे से सियाही छूटी?
मेरे सीने में अभी दर्द है महकूमी का
मदर-ए-हिन्द के चेहरे पे उदासी है वही
ख़ंजर आज़ाद हैं सीनों में...