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Dream

स्वप्न के घोंसले

स्वप्न में पिता घोंसले के बाहर खड़े हैं मैं उड़ नहीं सकती माँ उड़ चुकी है कहाँ कुछ पता नहीं मेरे आगे किताब-क़लम रख गया है कोई और कह गया...
Tribe, Village, Adivasi, Labour, Tribal, Poor

राकेश मिश्र की कविताएँ

सन्नाटा हवावों का सनन् सनन् ऊँग ऊँग शोर दरअसल एक डरावने सन्नाटे का शोर होता है, ढेरों कुसिर्यों के बीच बैठा अकेला आदमी झुण्ड से बिछड़ा अकेला पशु आसानी से महसूस कर सकता...
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