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दुन्या मिखाइल की कविता ‘चित्रकार बच्चा’
इराक़ी-अमेरिकी कवयित्री दुन्या मिखाइल (Dunya Mikhail) का जन्म बग़दाद में हुआ था और उन्होंने बग़दाद विश्वविधालय से बी.ए. की डिग्री प्राप्त की। सद्दाम हुसैन...
दुन्या मिखाइल की कविताएँ ‘मोची’ और ‘घूमना’
कविताएँ: दुन्या मिखाइल (Dunya Mikhail)
अनुवाद: आदर्श भूषण
मोची (Shoemaker)
एक कुशल मोची
अपने पूरे जीवनकाल में
न जाने कितने क़िस्म के पैरों के लिए
चमड़े चमकाता है और
कीलें ठोकता...
पृथ्वी का चक्कर
यह पृथ्वी सुबह के उजाले पर टिकी है
और रात के अंधेरे पर
यह चिड़ियों के चहचहाने की नोक पर टिकी है
और तारों की झिलमिल लोरी पर
तितलियाँ...
पृथ्वी
1
पृथ्वी!
एक बुढ़िया की
मटमैली-सी गठरी है
जो भरी हुई है
कौतूहल से
उम्मीद से
असमंजस से
प्रेम से।
जिसमें कुछ न कुछ खोजने के बाद भी
हर बार
बचा ही रह जाता है
कुछ...
भाषा
पृथ्वी के अन्दर के सार में से
फूटकर निकलती हुई
एक भाषा है बीज के अँकुराने की।
तिनके बटोर-बटोरकर
टहनियों के बीच
घोंसला बुने जाने की भी एक भाषा है।
तुम्हारे...
चुनौती
दुनिया तेरी भी है
स्पेस, चाँद, सितारे बड़े-बड़े
सूरज, आकाशगंगाएँ
माना बहुत बड़ी हैं
माना बहुत बढ़िया हैं
किन्तु मैंने भी तो
ढेला फेंका है पानी में
कुछ समय जल को...
प्रेम का अबेकस (दूसरा भाग)
1
प्रेम से क्रोध तक
आग से आश्रय तक
विश्वास करने के विपरीत क्या है?
उसके लायक़ भी कुछ नही
जैसे चाँदी की एक शानदार सुई चमकती है सफ़ेद परिधि में
प्रेम...
नील गगन का चाँद
वह नील गगन का चाँद उतर धरती पर आएगा,
तुम आज धरा के गीतों को फिर से मुस्काने दो।
वे गीत कि जिनसे जेठ दुपहरी भी...
बेदख़लनामा
पृथ्वी कब से छाप रही है
अपने अख़बार के हर दूसरे पन्ने पर
मनुष्यों का बेदख़लनामा
मेरा और मेरे पूर्वजों का नाम छपा था किसी एक दिन
और...
कविताएँ – मई 2020
कोरोना के बारे में जानती थी दादी
मेरी बूढ़ी हो चली दादी को
हो गयी थी सत्तर वर्ष पहले ही
कोरोना वायरस के आने की ख़बर
वो कह...
यह पृथ्वी रहेगी
मुझे विश्वास है
यह पृथ्वी रहेगी
यदि और कहीं नहीं तो मेरी हड्डियों में,
यह रहेगी जैसे पेड़ के तने में
रहते हैं दीमक,
जैसे दाने में रह लेता...
वे इसी पृथ्वी पर हैं
इस पृथ्वी पर कहीं न कहीं कुछ न कुछ लोग हैं ज़रूर
जो इस पृथ्वी को अपनी पीठ पर
कच्छपों की तरह धारण किए हुए हैं
बचाए...