Tag: Eyes

Chandrakant Devtale

तुम्हारी आँखें

ज्वार से लबालब समुद्र जैसी तुम्हारी आँखें मुझे देख रही हैं और जैसे झील में टपकती हैं ओस की बूँदें तुम्हारे चेहरे की परछाईं मुझमें प्रतिक्षण और यह सिलसिला...
Mahavir Prasad Dwivedi

मेरी आँखों का दौलतपुर

बीता हुआ और बीत रहा हर एक क्षण स्मृति बनता चला जाता है। कुछ स्मृतियाँ सिर्फ़ स्मृतियाँ न रहकर अंतस पटल पर शिलालेख-सी अमिट...
Doodhnath Singh

एक आँख वाला इतिहास

मैंने कठैती हड्डियों वाला एक हाथ देखा— रंग में काला और धुन में कठोर। मैंने उस हाथ की आत्मा देखी— साँवली और कोमल और कथा-कहानियों से भरपूर! मैंने पत्थरों...
Saadat Hasan Manto

आँखें

उसके सारे जिस्म में मुझे उसकी आँखें बहुत पसन्द थीं। ये आँखें बिल्कुल ऐसी ही थीं जैसे अन्धेरी रात में मोटर कार की हेडलाइट्स जिनको आदमी...
Ahmad Faraz

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं सो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं सुना है रब्त है उस को ख़राब-हालों...
Shahryar

सीने में जलन, आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है

सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढे पत्थर...
Girls, Kids

तर्क वाली आँखें

'Tark Wali Aankhein', a poem by Usha Dashora जब गाँव की लड़कियाँ स्कूल जाती हैं तब रूढ़ियों के सर पर उग आती हैं तर्क वाली आँखें झाड़-फूँक पढ़ने लगते हैं विज्ञान...

तुम्हारी आँखें

'Tumhari Aankhein', Hindi Kavita by Harshita Panchariya 1 मैं कुछ गहरा पढ़ना चाहती थी और मैंने पढ़ ली तुम्हारी आँखें। 2 तुम्हारी आँखें संसार की सबसे सुंदर भाषा बोलती हैं पर उसका कोई अनुवादक...
Shivmangal Singh Suman

पर आँखें नहीं भरीं

कितनी बार तुम्हें देखा पर आँखें नहीं भरीं सीमित उर में चिर असीम सौन्दर्य समा न सका बीन मुग्ध बेसुथ कुरंग मन रोके नहीं रुका यों तो कई बार पी-पीकर जी...
Hand Covering Face, Sexual Abuse, Body

आँखों में मरते सपने

'Aankhon Mein Marte Sapne', a poem by Santwana Shrikant उन लाखों युवतियों के नाम लिख रही हूँ दो शब्द, जिनकी देह पर तोड़ देती है अंधी मर्दानगी अपना...

पिघलती नींदें

तुम बोते हो नींदें इसलिए कि सपनों की फ़सल काट सको लेकिन कभी सोचा है तुमने उन जलती सुलगती आँखों के बारे में जिनके सपने हर रात के बाद फट पड़ते...
Majaz Lakhnavi

ख़ुद दिल में रह के आँख से पर्दा करे कोई

ख़ुद दिल में रह के आँख से पर्दा करे कोई हाँ लुत्फ़ जब है पा के भी ढूँढा करे कोई तुम ने तो हुक्म-ए-तर्क-ए-तमन्ना सुना दिया किस दिल...
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