Tag: Farmer
किसान को कौन जानता है?
हवा को जितना जानता है पानी
कोई नहीं जानता
पानी को जितना जानती है आग
कोई नहीं जानता
आग को जितना जानते हैं पेड़
कोई नहीं जानता
पेड़ को जितना...
मेरे पुरखे किसान थे
मेरे पुरखे किसान थे
मैं किसान नहीं हूँ
मेरी देह से
खेत की मिट्टी
की कोई आदिम गन्ध नहीं आती
पर मेरे मन के किसी पवित्र
स्थान पर
सभी पुरखे जड़...
कुछ सूत्र जो एक किसान बाप ने बेटे को दिए
यह कविता यहाँ सुनें:
https://youtu.be/Zifr0G-vl2s
मेरे बेटे
कुँए में कभी मत झाँकना
जाना
पर उस ओर कभी मत जाना
जिधर उड़े जा रहे हों
काले-काले कौए
हरा पत्ता
कभी मत तोड़ना
और अगर तोड़ना...
वे बैठे हैं
वे बैठे हैं
पलथी टिकाए
आँख गड़ाए
अपनी रोटी बाँधकर ले आए हैं,
रखते हैं तुम्हारे सामने
अपने घरों के चूल्हे,
आश्वासन नहीं माँगते तुमसे
माँगते हैं रोटी के बदले रोटी
अपने...
हलधर धरती जोतो रे
हलधर धरती जोतो रे
हलधर धरती जोतो रे
आज धरा पे कष्ट बड़ा है
अंत बड़ा नज़दीक खड़ा है
उसका आना रोको रे
हलधर धरती जोतो रे
हलधर धरती जोतो...
भाव, सरकार की चुप्पी
भाव
सबसे सस्ता खेत
सबसे सस्ता अन्न
सबसे सस्ता बीज
सबसे सस्ती फ़सल
उससे भी बढ़कर सस्ता किसान—
जिसके मरने से किसी को
जेल नहीं होती,
जिसके आत्महत्या करने से
किसी को फाँसी नहीं...
गोली दाग़ो पोस्टर
यह उन्नीस सौ बहत्तर की बीस अप्रैल है या
किसी पेशेवर हत्यारे का दायाँ हाथ या किसी जासूस
का चमड़े का दस्ताना या किसी हमलावर की दूरबीन...
वह किसान औरत नींद में क्या देखती है
वह किसान औरत नींद में क्या देखती है?
वह शायद देखती है अपने तन की धरती नींद में
वह शायद देखती है पसीने से भरा एक...
कमल सिंह सुल्ताना की कविताएँ
आक का दोना
खेत में बने झोंपड़े के पास
आकड़े की छाँव में
निहारता हुआ फ़सल को
मैं बैठा रहता हूँ देर तक अकेला
कुछ ही समय पश्चात
देखता हूँ कि
हुकमिंग...
कुमार मंगलम की कविताएँ
रात के आठ बजे
मैं सो रहा था उस वक़्त
बहुत बेहिसाब आदमी हूँ
सोने-जगने-खाने-पीने
का कोई नियत वक़्त नहीं है
ना ही वक़्त के अनुशासन में रहा हूँ कभी
मैं सो...
ओम नागर की कविताएँ
प्रस्तुति: विजय राही
पिता की वर्णमाला
पिता के लिए काला अक्षर भैंस बराबर।
पिता नहीं गए कभी स्कूल
जो सीख पाते दुनिया की वर्णमाला।
पिता ने कभी नहीं किया
काली...
संदीप पारीक ‘निर्भय’ की कविताएँ
गंगा में छोड़कर आऊँगी
उन दिनों मैं कोलकाता था
जिन दिनों
रामू काको क़र्ज़ के मारे
खेत की झोंपड़ी में
ज़हर पीकर
कर ली थी आत्महत्या
उन दिनों मैं आसाम था
जिन दिनों
गली में...