Tag: feminism
पढ़ी लिखी लड़कियाँ
लड़कियाँ पढ़-लिख गई
तमाम सरकारी योजनाओं ने सफलता पाई
गैरसरकारी संस्थाओं के आँकड़े चमके
पिताओं ने पुण्य कमाया और
भाईयों ने बराबरी का दर्जा देने की सन्तुष्टि हासिल की
पढ़ी...
अँधेरे से उजाले की ओर
मुँह अँधेरे उठकर
घर के काम निपटा कर
विद्यालय जाती बच्चियाँ
विद्यालय जिसके दरवाज़े पर लिखा है
'अँधेरे से उजाले की ओर'
घर से पिट कर आई शिक्षिका
सूजे हुए...
बोलनेवाली औरत
"कल छोले बनेंगे?"
"जी छोले बनेंगे।"
"पाजामों के नाड़े बदले जाने चाहिए।"
"हाँ जी, पाजामों के नाड़े बदले जाने चाहिए।"
अगर तस्वीर बदल जाए
सुनो, अगर मैं बन जाऊँ
तुम्हारी तरह प्रेम लुटाने की मशीन
मैं करने लगूँ तुमसे तुम्हारे ही जैसा प्यार
तुम्हारी तरह का स्पर्श जो आते-जाते मेरे गालों पे...
हम उस दौर में जी रहे हैं
हम उस दौर में जी रहे हैं जहाँ
फेमिनिज्म शब्द ने एक गाली का रूप ले लिया है
और धार्मिक उदघोष नारे बन चुके हैं
जहाँ हत्या,...
पर्दे के पीछे
"अल्लाह गवाह है जिस रोज यह इधर-उधर चले जाते हैं तो मैं चैन की नींद सोती हूँ। रोज यही है कि तुम रोज-रोज की बीमार हो, मैं कब तक सबर करूँ? मैं दूसरा ब्याह करता हूँ।
मैंने तो कहा, बिस्मिल्लाह करो। अब साल भर बाद साबरा की विदाई है। बाबा-बेटियों का साथ-साथ हो जाय। एक गोद में नवासा खिलाना, दूसरी में नई बीवी का बच्चा। बस लड़ने लगते हैं कि औरतें क्या जानें, खुदा ने उनको एहसास ही नहीं दिया। मैं तो कहती हूँ कि तुममें सारे मर्दों का एहसास भरा है।"
उपयोगिता
स्वेटर की
सलाइयाँ
निकालते हुए
कक्षा में
अध्यापिका ने कहा-
कमला उठो,
पप्पू को
चुप करो
और
विमला तुम,
चाय का पानी चढ़ाओ..
क्योंकि तुम दोनों को
पराये घर जाना है।
मरने की फुर्सत
ईसा मसीह
औरत नहीं थे
वरना मासिक धर्म
ग्यारह बरस की उमर से
उनको ठिठकाए ही रखता
देवालय के बाहर!
वेथलेहम और यरूजलम के बीच
कठिन सफर में उनके
हो जाते कई...
इंटरेस्टेड ही तो किया है!
"राहुल, तुमने वो आँटी वाली इवेंट में इंटरेस्टेड क्यों किया हुआ था?"
"ऐंवेही यार! अब तुम शुरू मत हो जाना, पैट्रिआर्कि, फेमिनिज्म, कुण्डी मत खड़काओ...