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आग पेटी
फिर से खाया धोखा इस बार
रत्ती भर नहीं आयी समझदारी
ले आया बड़े उत्साह से
सीली हुई बुझे रोगन वाली दियासलाई घर में
समझकर सचमुच की आग पेटी
बिल्कुल...
आग का पर्याय है कविता
मैं शब्दों पर शब्दों का ढेर
लगाता हूँउपमाओं की उपमाओं से
अलंकारों की अलंकारों से
बनाता चलता हूँ शृंखलाजो और जैसे भी छंद अँटते व जँचते
ही नहीं
बल्कि ख़ुद...
आग : तीन कविताएँ
1आग
उतनी ही होनी चाहिए थी
जिसको घेरा जा सके,
जिसके निकट
बिना डरे जाया जा सके,
जिसको ले जाया जा सके
किसी डरे हुए के पास
हिम्मत बंधाने के लिए,
जो...
आग
'Aag', a poem by Poonam Sonchhatraआग... बेहद शक्तिशाली है
जला सकती है शहर के शहर
फूँक सकती है जंगल के जंगलआग... नहीं जानती
सजीव-निर्जीव का भेदवह नहीं...
स्मृतियाँ, आग
Poems: Harshita Panchariya
स्मृतियाँ
देह के संग्रहालय में
स्मृतियाँ अभिशाप हैं
और यह जानते हुए भी
मैं स्मृतियों की शृंखला
जोड़ने में लगी हूँसम्भवतः 'जोड़ने की कोशिश'
तुम्हें भुलाने की क़वायद में
एकमात्र...
दिल पीत की आग में जलता है
दिल पीत की आग में जलता है, हाँ जलता रहे, उसे जलने दो
इस आग से लोगों दूर रहो, ठण्डी न करो, पंखा न झलोहम...
तुम में भी आग दहकती है जीवन की
तुम मैदानों और पहाड़ों के बीच झूलते हो
किसी अदृश्य झूले में
तुम में आग दहकती है जीवन की
पहाड़ दर पहाड़ की चढ़ाई करके पहुँच जाते हो
जीवन...
आग का सबसे सुन्दर इस्तेमाल औरतों ने किया है
फूल-सी बेटियाँ को
इस तरह कुचला जाता है
दहलीज़ पर जरा भी चरमराहट नहीं होतीपुरुषों ने सुन्दरता को
इस तरह रौंदा
जैसे आग के इतिहास में
जला हुआ हिरोशिमावह जलने के...
सिर पर आग
सिर पर आग
पीठ पर पर्वत
पाँव में जूते काठ के
क्या कहने इस ठाठ के।यह तस्वीर
नई है भाई
आज़ादी के बाद की
जितनी क़ीमत
खेत की कल थी
उतनी क़ीमत
खाद...