Tag: Flower
हक़ दो
फूल को हक़ दो—वह हवा को प्यार करे
ओस, धूप, रंगों से जितना भर सके, भरे
सिहरे, काँपे, उभरे
और कभी किसी एक अँखुए की आहट पर
पंखुड़ी-पंखुड़ी...
तुम्हें सौंपता हूँ
फूल मेरे जीवन में आ रहे हैंसौरभ से दसों दिशाएँ
भरी हुई हैं
मेरी जी विह्वल है
मैं किससे क्या कहूँआओ,
अच्छे आए समीर,
ज़रा ठहरो
फूल जो पसंद हों,...
फूल
फूल हैं गोया मिट्टी के दिल हैं
धड़कते हुए
बादलों के ग़लीचों पे रंगीन बच्चे
मचलते हुए
प्यार के काँपते होंठ हैं
मौत पर खिलखिलाती हुई चम्पईज़िन्दगी
जो कभी मात...
फूल लड़ाई
लोग
रौशनी से डरते हैं
सच से कतराते हैं
टेसू कहाँ फूलें?देह
देह के आ जाने को डरती है
कोहबर घर से कतराती है
गुलाब कहाँ उगें?गीत के पोखर
आदमी से...
उसने मुझे पीला रंग सिखाया
उसने मुझे पीला रंग सिखायाऔर मुझे दिखायी दिए जीवन के धूसर रंगों के बीचोबीच
रू ब रू दो दहकते हुए पीले सूर्यमुखी
एक से दूसरे के...
फिर छिड़ी रात बात फूलों की
फिर छिड़ी रात बात फूलों की
रात है या बरात फूलों कीफूल के हार, फूल के गजरे
शाम फूलों की, रात फूलों कीआप का साथ, साथ...
तिथि दानी की कविताएँ
प्रलय के अनगिनत दिन
आज फिर एक डॉक्टर की मौत हुई
कल पाँच डॉक्टरों के मरने की ख़बरें आयीं
इनमें से एक स्थगित कर चुकी थी अपनी...
पीड़ा के फूल
अगर जानना चाहते हो
पीड़ा क्या है,
तो मेरे वक्षस्थल
पर अपना सर रख देना,
कुछ देर के लिए निस्तेज
हो जाना,
जैसे मर जाते हैं लोग
प्रेम की पीड़ा में
प्यासे...तुम्हें...
मुस्कराएँगे नागफनियों में खिले फूल
'Muskraaenge Nagphaniyon Mein Khile Phool', a poem by Saraswati Mishraज़िन्दगी एक लम्बी सड़क है
सड़क के दोनों ओर
लम्बी क़तारें हैं नागफनियों की
नागफनियों के काँटों के बीच
खिले...
पलाश के फूल
'Palash Ke Phool', a poem by Prita Arvindजंगल में पलाश के पेड़ पर
फूल लग गए हैं, यह किसी को
बताना नहीं पड़ता क्यूंकि
पलाश के फूल...
हत्यारा
बच्चा तितली पकड़ रहा है
बच्चा नादान है
होगा
बच्चे तो होते ही हैं
तुमने वह चीख़ भी
देखी
नयी तरह से क्या सुना
इस दृश्य को
बच्चा हत्यारा है
वह किसी फूल...
साए की ख़ामोशी
साए की ख़ामोशी सिर्फ़ ज़मीन सहती है
खोखला पेड़ नहीं या खोखली हँसी नहीं
और फिर अंजान अपनी अनजानी हँसी में हँसा
क़हक़हे का पत्थर संग-रेज़ों में...