Tag: Gaurav Adeeb
इस कविता में बहुत मैं है
मैंने अपने बारे में बहुत कुछ नहीं सुना
जो कुछ सुना उसकी परवाह नहीं की
मैंने अपने मैं को कभी नहीं किया परिभाषित
मैंने ख़ुद को
काले और...
आधे मन से आलिंगन मत करना
जब कोई अनकहा सुन लेता हो
उससे झूठ मत बोलना
इससे सुनने की ताकत कम हो जाती हैजब कोई पढ़ लेता हो आँखों को तो
उससे मत छुपाओ...
अनकहे में होता है ज़्यादा अर्थ
'Ankahe Mein Hota Hai Zyada Arth', a poem by Gaurav Adeebकुछ चीज़ों को ठीक समय पर ही होना चाहिए
प्रणय का निवेदन ठीक तब किया...
कश्मीर के बच्चे के नाम
वो खेलता गर्मियों में यहाँ
घास के दूर तक फ़ैले मैदान में
सर्दियों में वो बनाता बर्फ़ के गोले
और उछाल देता सूरज की ओरमाँ की काँगड़ी...
आँसू और हँसी
'The Wanderer: Tears and Laughter' : : Kahlil Gibran
अंग्रेज़ी से अनुवाद: गौरव अदीबशाम के वक़्त नील नदी के किनारे एक लकड़बग्घे की मुलाक़ात घड़ियाल...
लिबास
'The Wanderer: Garments' : : Kahlil Gibran
अंग्रेज़ी से अनुवाद: गौरव अदीबएक रोज़ समन्दर के किनारे ख़ूबसूरती की मुलाक़ात बदसूरती से हुई। उन्होंने एक दूसरे...
साथ होने के लिए हमेशा पास खड़े होने की ज़रूरत नहीं होती!
'The Prophet: Marriage' : : Kahlil Gibran
अंग्रेज़ी से अनुवाद: गौरव अदीबऔर तब अलमित्रा ने दोबारा पूछा, "शादी के बारे में आप क्या कहेंगे?"उन्होंने जवाब...
उल्टी वा की धार!
पानी से प्यास
और छुअन से बेकली
मिलन से बेचैनी
और आलिंगन से ताप
सब बढ़ रहा है
ख़ुसरो तुमने ठीक कहा था
इस नदी की धार उल्टी है!
अच्छा चलता हूँ!!
"अच्छा चलता हूँ.."
कितनी ही बार कहता हूँ तुमसे
जाना, तुम्हें अलविदा कहकर
कितना मुश्किल होता है
हर बार "चलता हूँ" के बाद
एक नाज़ुक सा "सुनो"
और फिर कितनी...
रूमी के नाम
यूसुफ़ भी तुम्हें छुपाता है ज़ुलैख़ा
गढ़ता है नये मुहावरे
तुलसी की बैंगनी मंजरी से
छितवन के महकदार फूलों तक
अब वो चाँद देखता ही नहीं
जब वो देर तक पकाता...
भोपाल में थोड़ा-थोड़ा कितना कुछ है।
भोपाल पर गौरव 'अदीब' की एक कविताभोपाल में थोड़ा-थोड़ा कितना कुछ है
भोपाल में बहुत सारा लख़नऊ है
यहाँ ऐशबाग है, हमीदिया रोड है
यहाँ पुलिया है...
गौरव अदीब की नयी कविताएँ
गौरव अदीब की कुछ नयी कविताएँ
1)
टाइम मशीन कविता के लिए:
कई बार तुम्हारी ओर से मैंने ख़ुद को लिखा पत्र
लिखीं कुछ कवितायेँ भी
तुम्हारी कहानी ख़ुद...