Tag: Gaurow Gupta
इंस्टा डायरी: उदास शहर की बातें
जाड़े की सर्दी में खुरदरी दीवार से सटकर रात बिताती मन की नंगी पीठ। अलकतरे से भी ज़्यादा काली रात में काली बिल्ली की...
मृत्यु को नींद कहूँगा
अंतिम कविता
मृत्यु पर नहीं लिखूँगा
लिखूँगा जीवन पर'अंधेरा है' को कहूँगा 'प्रकाश की अनुपस्थिति-भर'
धोखे के क्षणों में याद करूँगा बारिश, हवा, सूरज
मेरे अंदर जन्मती घृणा को
बारिश...
नवम्बर डायरी
सुबह की धूप सेंक रहा हूँ, सोच रहा हूँ काश मन की शिकायतों का बोझ अगर पिघल जाता तो कितना सुंदर होता। एक घेरा...
प्रेम में – 2
मुझे विश्वास है
एक रोज़ मैं मारा जाऊँगा—
किसी युद्ध में नहीं
प्रेम मेंप्रेम में मारा जाना
दुनिया की सबसे अच्छी नियति हैआप स्वर्ग और नरक नहीं जाते
आप रहते...
प्रेम में
प्रेम में चढ़ना नहीं होता पहाड़
न ही होता है किसी खाई में कूदना
यह कोई प्रतियोगिता नहीं है
जिसमें अव्वल आने की ज़िद होप्रेम में सबसे बेहतर का...
उदास शहर की बातें
ख़्वाब ज़्यादा हों तो नींद कम होने लगती है और ख़्वाबों के बोझ का दबाव आँख के नीचे गहरा रंग छोड़ता जाता है। आईना...
‘मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है’ को पढ़ते हुए
कविता संग्रह: 'मैंने अपनी माँ को जन्म दिया है' - रश्मि भारद्वाज
प्रकाशन: सेतु प्रकाशन (setuprakashan.com)कविताएँ पढ़ते वक़्त सोचा एक पाठक के तौर पर मैं...
स्मृतियों की जेल से एक क़ैदी का ख़त
मेरी उदासी में, तुम ऊष्मा थीठिठुरती ज़िन्दगी की उम्मीदजिस पर मैं अपना मन सेंकता था...
तुम्हारी मौजूदगी मेरे बहुत अकेलेपन को
किसी जादू की तरह,
कम अकेलेपन में...
इंस्टा डायरी: ‘उदास शहर की बातें’
मौसम विज्ञान कहता है शहर में आज धूप होगी। लड़की जानती है आज मन भरा हुआ है, और शहर भीग जाएगा। गूगल मैप बताता...
इंस्टा डायरी (पाँचवीं किश्त)
Insta Diary (Part Five) - Diary in Hindi - Gaurow Guptaअक्सर हम जहाँ होते हैं, वहाँ सचमुच में नहीं होते। और कोई चुपके से...
अक्सर तुम कहती थीं
'Aksar Tum Kehti Thi', a poem by Gaurow Guptaअक्सर तुम कहती थीं-
"अच्छा होता हम मिले ना होते!"मैं कहता था-
"मिलकर... इतना बुरा भी तो नहीं...
‘तुम्हारे लिए’ – इंस्टा डायरी (चौथी किश्त)
जब वह कमरे से बाहर निकला तो कई रास्ते उसे दिख रहे थे। उसे नहीं पता, कौन-से रास्ते उसे मंज़िल तक ले जाएँगे। अगर...