Tag: Geetanjali
92 से पहले
"खाने की तलाश में घूमते-घूमते झबरू एक घर के सामने पहुँचा जो कुछ अजीब सा था। एक तो वो घर बहुत खुली जगह में बना था और उस घर में कोई दरवाज़ा भी नहीं था। जिसकी मर्ज़ी होती वो उस घर जा सकता था। एक और अजीब बात झबरू ने देखी, वो ये कि इस घर में लोग हाथ जोड़ के आ रहे थे। वो अपने साथ ढेर सारी खाने-पीने की चीज़ें लाते और घर के अंदर छोड़ के चले जाते। इंसानों का ये रूप झबरू के लिए बिल्कुल नया था।"
सुब्हों जैसे लोग
गीताञ्जलि की ये नज़्में अपने अतराफ़ और अंदरून के दरमियान एक मुस्तक़िल सफ़र का बयानिया हैं। एक ऐसा सफ़र जिसके सहयात्री जंगल भी हैं,...
नीम का पेड़
मेरे मिट्टी के घर के पीछे था
वो पेड़ बरसों से
नीम का पेड़
जिस पे खेलते-चढ़ते थे
अक्सर झूलते थे हम
उसी की छांव में गर्मी की अपनी...