Tag: ईश्वर
श्रीविलास सिंह की कविताएँ
सड़कें कहीं नहीं जातीं
सड़कें कहीं नहीं जातीं
वे बस करती हैं
दूरियों के बीच सेतु का काम,
दो बिंदुओं को जोड़तीं
रेखाओं की तरह,
फिर भी वे पहुँचा देती...
कौन ईश्वर
नहीं है तुम्हारी देह में
यह रुधिर जिसके वर्ण में
अब ढल रही है दिवा
और अँधेरा सालता है
रोज़ थोड़ी मर रही आबादियों में
रोज़ थोड़ी बढ़ रही...
चेन कुन लुन की कविताएँ
चेन कुन लुन का जन्म दक्षिणी ताइवान के काओशोंग शहर में सन 1952 में हुआ। वह एक सुधी सम्पादक रहे हैं। चेन लिटरेरी ताइवान...
कहाँ हो तुम
मृत्यु का भय
ईश्वर के भय को सींचता रहता है
ओ मेरे कवि
प्रार्थनाएँ करते-करते सदियों के पंख
झड़ चुके हैं
ऋतुचक्रों पर फफूँद बैठी है
ईश्वर ग़रीबों की तरफ़...
ख़ुदा का चेहरा
एक दिन मैं शराब पीकर
शहर के अजायबघर में घुस गया
और पत्थर के एक बुत के सामने खड़ा हो गया।
गाइड ने मुझे बताया
यह ख़ुदा का...
ख़ुदा होने के लिए
किस जाति या भाषा का मंसूबा तुम हो
ठीक है पर इतनी बड़ी देह में कहीं रोयाँ भर वह जगह है
जिस पर उँगली रख तुम...
तुम्हारे भगवान की क्षय
लड़का माँ के पेट से ईश्वर का ख़याल लेकर नहीं निकलता। भूत, प्रेत तथा दूसरे संस्कारों की तरह ईश्वर का ख़याल भी लड़के को...
ईश्वर की आँखें
क्या रह जाता है मृत्यु के बाद
जब पार हो जाती है देहरी
जीवितों और मृतों के बीच?
क्या तब पार हो जाएँगी सारी
सुबहें और रातें भी
स्मृति...
ईश्वर से अधिक हूँ
एक पूरी आत्मा के साथ
एक पूरी देह हूँ मैं
जिसे धारण करते हैं ईश्वर कभी-कभी
मैं एक आत्मा
एक देह
एक ईश्वर से अधिक हूँ।
ईश्वर युगों में सुध...
कविताएँ: दिसम्बर 2020
स्वाद
शहर की इन
अंधेरी झोपड़ियों में
पसरा हुआ है
मनो उदासियों का
फीकापन
दूसरी तरफ़
रंगीन रोशनियों से सराबोर
महलनुमा घरों में
उबकाइयाँ हैं
ख़ुशियों के
अतिरिक्त मीठेपन से
धरती घूमती तो है
मथनी की तरह...
‘शहर में गाँव’ से नज़्में
यहाँ प्रस्तुत सभी नज़्में निदा फ़ाज़ली के सम्पूर्ण काव्य-संकलन 'शहर में गाँव' से ली गई हैं। यह संकलन मध्य-प्रदेश उर्दू अकादमी, भोपाल के योगदान...
‘उस दुनिया की सैर के बाद’ से कविताएँ
'उस दुनिया की सैर के बाद' से
अपने ही रचे को
पहली बरसात के साथ ही
घरों से निकल पड़ते हैं बच्चे
रचने रेत के घर
घर बनाकर
घर-घर खेलते...