Tag: ईश्वर

Shri Vilas Singh

श्रीविलास सिंह की कविताएँ

सड़कें कहीं नहीं जातीं सड़कें कहीं नहीं जातीं वे बस करती हैं दूरियों के बीच सेतु का काम, दो बिंदुओं को जोड़तीं रेखाओं की तरह, फिर भी वे पहुँचा देती...
God, Abstract Human

कौन ईश्वर

नहीं है तुम्हारी देह में यह रुधिर जिसके वर्ण में अब ढल रही है दिवा और अँधेरा सालता है रोज़ थोड़ी मर रही आबादियों में रोज़ थोड़ी बढ़ रही...
Chen Kun Lun

चेन कुन लुन की कविताएँ

चेन कुन लुन का जन्म दक्षिणी ताइवान के काओशोंग शहर में सन 1952 में हुआ। वह एक सुधी सम्पादक रहे हैं। चेन लिटरेरी ताइवान...
Vijendra

कहाँ हो तुम

मृत्यु का भय ईश्‍वर के भय को सींचता रहता है ओ मेरे कवि प्रार्थनाएँ करते-करते सदियों के पंख झड़ चुके हैं ऋतुचक्रों पर फफूँद बैठी है ईश्‍वर ग़रीबों की तरफ़...
Kumar Vikal

ख़ुदा का चेहरा

एक दिन मैं शराब पीकर शहर के अजायबघर में घुस गया और पत्थर के एक बुत के सामने खड़ा हो गया। गाइड ने मुझे बताया यह ख़ुदा का...
Bow Down

ख़ुदा होने के लिए

किस जाति या भाषा का मंसूबा तुम हो ठीक है पर इतनी बड़ी देह में कहीं रोयाँ भर वह जगह है जिस पर उँगली रख तुम...
Rahul Sankrityayan

तुम्हारे भगवान की क्षय

लड़का माँ के पेट से ईश्वर का ख़याल लेकर नहीं निकलता। भूत, प्रेत तथा दूसरे संस्कारों की तरह ईश्वर का ख़याल भी लड़के को...
God, Abstract Human

ईश्वर की आँखें

क्या रह जाता है मृत्यु के बाद जब पार हो जाती है देहरी जीवितों और मृतों के बीच? क्या तब पार हो जाएँगी सारी सुबहें और रातें भी स्मृति...
Naval Shukla

ईश्वर से अधिक हूँ

एक पूरी आत्मा के साथ एक पूरी देह हूँ मैं जिसे धारण करते हैं ईश्वर कभी-कभी मैं एक आत्मा एक देह एक ईश्वर से अधिक हूँ। ईश्वर युगों में सुध...
Yogesh Dhyani

कविताएँ: दिसम्बर 2020

स्वाद शहर की इन अंधेरी झोपड़ियों में पसरा हुआ है मनो उदासियों का फीकापन दूसरी तरफ़ रंगीन रोशनियों से सराबोर महलनुमा घरों में उबकाइयाँ हैं ख़ुशियों के अतिरिक्त मीठेपन से धरती घूमती तो है मथनी की तरह...
Nida Fazli

‘शहर में गाँव’ से नज़्में

यहाँ प्रस्तुत सभी नज़्में निदा फ़ाज़ली के सम्पूर्ण काव्य-संकलन 'शहर में गाँव' से ली गई हैं। यह संकलन मध्य-प्रदेश उर्दू अकादमी, भोपाल के योगदान...
Sanwar Daiya

‘उस दुनिया की सैर के बाद’ से कविताएँ

'उस दुनिया की सैर के बाद' से अपने ही रचे को पहली बरसात के साथ ही घरों से निकल पड़ते हैं बच्चे रचने रेत के घर घर बनाकर घर-घर खेलते...
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