Tag: Gorakh Pandey
फूल
फूल हैं गोया मिट्टी के दिल हैं
धड़कते हुए
बादलों के ग़लीचों पे रंगीन बच्चे
मचलते हुए
प्यार के काँपते होंठ हैं
मौत पर खिलखिलाती हुई चम्पई
ज़िन्दगी
जो कभी मात...
मेहनतकशों का गीत
किसकी मेहनत और मशक़्क़त
किसके मीठे-मीठे फल हैं?
अपनी मेहनत और मशक़्क़त
उनके मीठे-मीठे फल हैं!
किसने ईंट-ईंट जोड़ी हैं
किसके आलीशान महल हैं?
हमने ईंट-ईंट जोड़ी हैं
उनके आलीशान महल...
इंक़लाब का गीत
हमारी ख़्वाहिशों का नाम इंक़लाब है!
हमारी ख़्वाहिशों का सर्वनाम इंक़लाब है!
हमारी कोशिशों का एक नाम इंक़लाब है!
हमारा आज एकमात्र काम इंक़लाब है!
ख़तम हो लूट...
क़ानून
लोहे के पैरों में भारी बूट
कंधों से लटकती बंदूक़
क़ानून अपना रास्ता पकड़ेगा
हथकड़ियाँ डालकर हाथों में
तमाम ताक़त से उन्हें
जेलों की ओर खींचता हुआ
गुज़रेगा विचार और...
अधिनायक वंदना
जन गण मन अधिनायक जय हे!
जय हे हरित क्रान्ति निर्माता
जय गेहूँ हथियार प्रदाता
जय हे भारत भाग्य विधाता
अंग्रेज़ी के गायक जय हे!
जन गण मन अधिनायक जय...
संसद का गीत
सावधान! संसद है, बहस चल रही है!
भीतर कुछ कुर्सियाँ मँगाओ
बाहर जेलें नयी बनाओ
बाँधो लपटें झोपड़ियों की
महलों की रौनक़ें बचाओ
खलबली मची है जंगल में
आग जल रही है...
कुर्सीनामा
1
जब तक वह ज़मीन पर था
कुर्सी बुरी थी,
जा बैठा जब कुर्सी पर वह
ज़मीन बुरी हो गई।
2
उसकी नज़र कुर्सी पर लगी थी
कुर्सी लग गयी थी
उसकी...
समझदारों का गीत
हवा का रुख़ कैसा है, हम समझते हैं
हम उसे पीठ क्यों दे देते हैं, हम समझते हैं
हम समझते हैं ख़ून का मतलब
पैसे की क़ीमत हम...
सात सुरों में पुकारता है प्यार
माँ, मैं जोगी के साथ जाऊँगी
जोगी शिरीष तले
मुझे मिला
सिर्फ़ एक बाँसुरी थी उसके हाथ में
आँखों में आकाश का सपना
पैरों में धूल और घाव
गाँव-गाँव वन-वन
भटकता...
दंगा
'Danga', poems by Gorakh Pandey
1
आओ भाई बेचू, आओ
आओ भाई अशरफ़, आओ
मिल-जुल करके छुरा चलाओ
मालिक रोज़गार देता है
पेट काट-काटकर छुरा मँगाओ
फिर मालिक की दुआ मनाओ
अपना-अपना धरम...