Tag: Grief
पायल भारद्वाज की कविताएँ
दुःख जुड़ा रहा नाभि से
नाराज़गी का बोझ उठा सकें
इतने मज़बूत कभी नहीं रहे मेरे कंधे
'दोष मेरा नहीं, तुम्हारा है'
यह कहने के बाद मन ने...
रेनर मारिया रिल्के की तीन कविताएँ
मूल कविताएँ: रेनर मारिया रिल्के
अनुवाद: उसामा हमीद
दुखड़ा
Lament
सब कुछ दूर है
और बहुत पहले ख़त्म हो चुका है।
मुझे लगता है
मेरे ऊपर चमकता हुआ तारा
करोड़ों बरस पहले...
ख़तरनाक दुःख
मेरा दुःख
नितान्त मेरा था
जो कुछ-कुछ
मेरी माँ या उनके जैसी तमाम
औरतों के दुःख-सा
ग़ैर-ज़रूरी
मगर ख़तरनाक घोषित था
जिन्हें
घर-गृहस्थी में फँस, न जीने की फ़ुर्सत थी
न मरने की।
जिनके...
सभी सुख दूर से गुज़रें
सभी सुख दूर से गुज़रें
गुज़रते ही चले जाएँ
मगर पीड़ा उमर भर साथ चलने को उतारू है!
हमको सुखों की आँख से तो बाँचना आता नहीं
हमको...
दुःख
सपनों के डर से
मैंने कई रातें दिन की तरह बितायीं
और दिन में बेहोश होकर सोया
बहुत बाद में
मुझे मालूम हुआ
नींद और बेहोशी में फ़र्क़ होता...
दुःख ने दरवाज़ा खोल दिया
मैंने तो चाहा बहुत कि अपने घर में रहूँ अकेला, पर—
सुख ने दरवाज़ा बन्द किया, दुःख ने दरवाज़ा खोल दिया।
मन पर तन की साँकल...
दोपहर का भोजन
दुःख
दुःख को सहना
कुछ मत कहना—
बहुत पुरानी बात है।
दुःख सहना, पर
सब कुछ कहना
यही समय की बात है।
दुःख को बना के एक कबूतर
बिल्ली को अर्पित कर...
जिस दिन से आए
जिस दिन से आए
उस दिन से
घर में यहीं पड़े हैं
दुःख कितने लंगड़े हैं!
पैसे,
ऐसे अलमारी से
फूल चुरा ले जाएँ बच्चे
जैसे फुलवारी से
दंड नहीं दे पाता
यद्यपि—
रंगे हाथ...
आदमी का दुःख
राजा की सनक
ग्रहों की कुदृष्टि
मौसमों के उत्पात
बीमारी, बुढ़ापा, मृत्यु, शत्रु, भय
प्रिय-बिछोह
कम नहीं हैं ये दुःख आदमी पर!
ऊपर से
जब घर जलते हैं
तो आदमी के दिन...
आत्मसंतोष
नहीं, नहीं, अब नहीं हैं रोनी हृदय की व्यथाएँ
जो जगत् व्यथा देता है, उसी जगत् को अब
रचकर गाथाएँ व्यथा की वापस नहीं देनी हैं।
दुःख...
दुःख की बात
निरर्थकताओं को सार्थकताओं में बदलने के लिए
हम संघर्ष करते हैं
बदहालियों को ख़ुशहालियों में बदलने के लिए
हम संघर्ष करते हैं
क्योंकि कमियाँ जब अभाव बन जाती...
हमने यह देखा
यह क्या है जो इस जूते में गड़ता है
यह कील कहाँ से रोज़ निकल आती है
इस दुःख को रोज़ समझना क्यों पड़ता है
फिर कल...