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Kamtanath

मेहमान

शीतला प्रसाद का हाथ हवा में ही रुक गया। संध्या-स्नान-ध्यान के बाद चौके में पीढ़े पर बैठे बेसन की रोटी और सरसों के साग...
Surendra Verma

मेहमान

सुरेन्द्र वर्मा की कहानी 'मेहमान' | 'Mehmaan', a story by Surendra Verma मोती‌ ‌घर‌ ‌के‌ ‌बाहर‌ ‌चबूतरे‌ ‌पर‌ ‌टहल‌ ‌रहा‌ ‌था‌‌।‌ ‌चबूतरे‌ ‌से‌ ‌बिल्कुल‌ ‌सटी‌...
Devendra Satyarthi

मंदिर वाली गली

"अब दूर-दूर के यात्री अपना लिबास कहाँ छोड़ आएं, राय साहिब और उन बेचारों के चेहरे मुहरे जैसे हैं वैसे ही तो रहेंगे। बंगाली, महाराष्ट्री, गुजराती और मद्रासी अलग-अलग हैं तो अलग-अलग ही तो नज़र आएँगे। अपना-अपना रूप और रंग-ढंग घर में छोड़कर तो तीर्थ यात्रा पर आने से रहे।"
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