'Kshama Yachana', a poem by Umashankar Joshiप्रिये,
माफ़ करना यह
कि कभी दुलार से नहीं पुकारा तुझे।
बहुत व्यस्त मैं आज
अपने दोनों के अनेक मिलनों की कथा...
हम पृथ्वी की शुरुआत से स्त्री हैं
सरकारें बदलती रहीं
तख़्त पलटते रहे
हम स्त्री रहे
विचारक आए
विचारक गए
हम स्त्री रहे
सैंकड़ों सावन आए
अपने साथ हर दूषित चीज़ बहा...
अनुवाद: पंखुरी सिन्हा
युद्ध के बाद ज़िन्दगी
कुछ चीज़ें कभी नहीं बदलतीं
बग़ीचे की झाड़ियाँ
हिलाती हैं अपनी दाढ़ियाँ
बहस करते दार्शनिकों की तरह
जबकि पैशन फ़्रूट की नारंगी
मुठ्ठियाँ जा...
जयशंकर प्रसाद के जीवन पर केंद्रित उपन्यास 'कंथा' का साहित्यिक-जगत में व्यापक स्वागत हुआ है। लेखक श्यामबिहारी श्यामल से उपन्यास की रचना-प्रकिया, प्रसाद जी...