Tag: Hindi Essay
आपने मेरी रचना पढ़ी?
हमारे साहित्यिकों की भारी विशेषता यह है कि जिसे देखो वहीं गम्भीर बना है, गम्भीर तत्ववाद पर बहस कर रहा है और जो कुछ...
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है
'भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है' - भारतेंदु हरिश्चंद्रआज बड़े आनंद का दिन है कि छोटे से नगर बलिया में हम इतने मनुष्यों को...
पंच महाराज
'पंच महाराज' - बालकृष्ण भट्टमाथे पर तिलक, पाँव में बूट चपकन और पायजामा के एवज में कोट और पैंट पहने हुए पंच जी को...
कविवर श्री सुमित्रानन्दन पन्त
'कविवर श्री सुमित्रानन्दन पन्त' - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'"मग्न बने रहते हैं मोद में विनोद में
क्रीड़ा करते हैं कल कल्पना की गोद में,
सारदा के मन्दिर...
जी
'जी' - बालकृष्ण भट्टसाधारण बातचीत में यह जी भी जी का जंजाल सा हो रहा है। अजी बात ही चीत क्या जहाँ और जिसमें...
समय
'समय' - बद्रीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’काव्यशासस्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम।
व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा॥यह विख्यात है कि त्रिभुवन में विजय की पताका फहराने वाला,...
पेट
इन दो अक्षरों की महिमा भी यदि अपरंपार न कहिए तौ भी यह तो मानना ही पड़ेगा कि बहुत बड़ी है। जितने प्राणी और...
भय
'भय' - रामचंद्र शुक्लकिसी आती हुई आपदा की भावना या दुःख के कारण के साक्षात्कार से जो एक प्रकार का आवेगपूर्ण अथवा स्तंभ-कारक मनोविकार...
कुटज
'Kutaj', Hindi Nibandh by Hazari Prasad Dwivediकहते हैं, पर्वत शोभा-निकेतन होते हैं। फिर हिमालय का तो कहना ही क्या। पूर्व और अपार समुद्र -...
गेहूँ बनाम गुलाब
'गेहूँ बनाम गुलाब' - रामवृक्ष बेनीपुरीगेहूँ हम खाते हैं, गुलाब सूँघते हैं। एक से शरीर की पुष्टि होती है, दूसरे से मानस तृप्त होता...
धोखा
"बेईमानी तथा नीतिकुशलता में इतना ही भेद है कि जाहिर हो जाए, तो बेईमानी कहलाती है और छिपी रहे, तो बुद्धिमानी है।"
स्त्री: दान ही नहीं, आदान भी
"जब तक स्त्री के सामने ऐसी समस्या नहीं आती, जिसमें उसे बिना कोई विशेष मार्ग स्वीकार किए जीवन असंभव दिखाई देने लगता है, तब तक वह अपनी मनुष्यता को जीवन की सबसे बहुमूल्य वस्तु के समान ही सुरक्षित रखती है। यही कारण है कि वह क्रूर-से-क्रूर, पतित-से-पतित पुरुष की मलिन छाया में भी अपने जीवन का गौरव पालती रहती है।"