Tag: Hindi poetry
बात बोलेगी
बात बोलेगी,
हम नहीं।
भेद खोलेगी
बात ही।
सत्य का मुख
झूठ की आँखें
क्या देखें!
सत्य का रुख़
समय का रुख़ हैः
अभय जनता को
सत्य ही सुख है
सत्य ही सुख।
दैन्य दानव; काल
भीषण;...
शायरी का इंक़लाब
एक दिन अकस्मात
एक पुराने मित्र से
हो गई मुलाकात
कहने लगे- "जो लोग
कविता को कैश कर रहे हैं
वे ऐश कर रहे हैं
लिखने वाले मौन हैं
श्रोता तो...
अचानक तुम आ जाओ
इतनी रेलें चलती हैं
भारत में
कभी
कहीं से भी आ सकती हो
मेरे पास
कुछ दिन रहना इस घर में
जो उतना ही तुम्हारा भी है
तुम्हें देखने की प्यास...
धुआँ
कारखानों के धुएँ का रंग,
काला होता है क्योंकि,
उसमें लगा है खून,
किसी मरी हुई तितली का, फूल का, शजर का
धुआँ जो फैला हुआ है ज़मीन से...
पोस्टमार्टम की रिपोर्ट
यह कविता हिन्दी की छोटी लेकिन सबसे सशक्त कविताओं में से एक है! समाज में गरीब होना तक कितना बड़ा अपराध बन जाता है, सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ने केवल चार पंक्तियों में बता दिया है.. पढ़िए! :)
पिन बहुत सारे
ज़िन्दगी का अर्थ
मरना हो गया है
और जीने के लिये हैं
दिन बहुत सारे।
इस
समय की मेज़ पर
रक्खी हुई
ज़िन्दगी है 'पिन-कुशन' जैसी
दोस्ती का अर्थ
चुभना हो गया है
और...
अजनबी
'Ajnabi', a poem by Deepti Naval
अजनबी रास्तों पर
पैदल चलें
कुछ न कहें
अपनी-अपनी तन्हाइयाँ लिए
सवालों के दायरों से निकलकर
रिवाजों की सरहदों के परे
हम यूँ ही साथ...
प्रेम कविता
प्यारी, बड़े मीठे लगते हैं मुझे तेरे बोल!
अटपटे और ऊल-जुलूल
बेसर-पैर कहाँ से कहाँ तेरे बोल!
कभी पहुँच जाती है अपने बचपन में
जामुन की रपटन-भरी डालों...
तीन कविताएँ
मेरे अंदर एक पागलखाना है
मेरे अंदर एक पागलखाना है
तरह-तरह के पागल हैं
एक पागल हरदम बोलता ही रहता है,
दूसरा पागल ख़ामोशी ओढ़े है
बस नींद में...
सूर्योदय की प्रतीक्षा में
वे सूर्योदय की प्रतीक्षा में
पश्चिम की ओर
मुॅंह करके खड़े थे
दूसरे दिन जब सूर्योदय हुआ
तब भी वे पश्चिम की ओर
मुॅंह करके खड़े थे
जबकि सही दिशा-संकेत...
ग्लोबल वॉर्मिंग
मेरे दिल की सतह पर टार जम गया है
साँस खींचती हूँ
तो खिंची चली आती है
कई टूटे तारों की राख
जाने कितने अरमान निगल गयी हूँ
साँस...
प्रेमपत्र
'Prempatra', a poem by Badrinarayan
प्रेत आएगा
किताब से निकाल ले जायेगा प्रेमपत्र
गिद्ध उसे पहाड़ पर नोच-नोच खायेगा
चोर आयेगा तो प्रेमपत्र ही चुरायेगा
जुआरी प्रेमपत्र ही दाँव...